सात फेरों का निभाया वचन-अपनी जान जोखिम में डाल पत्नी ने ऐसे बचाई जान

सात फेरों का निभाया वचन-अपनी जान जोखिम में डाल पत्नी ने ऐसे बचाई जान
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फर्रुखाबाद। प्राचीन काल में सावित्री अपने पति की जान को यमराज के हाथों से खींचकर वापस ले आई थी। असल जिंदगी में जब पति का जीवन खतरे में पड़ गया और चौतरफा से सभी उम्मीदें पूरी तरह से टूट गई तो सात फेरे लेकर पत्नी बनी महिला पति की जान बचाने के लिए आगे आई। 60 फीसदी लीवर डोनेट करते हुए पत्नी ने जब उसके त्याग के बदले अपने पति की आंखें खुली हुई देखी तो पत्नी ही नहीं बल्कि अस्पताल के समूचे स्टाफ की आंख में झर झर आंसू बाहर निकल आए। पत्नी अब इस बात को लेकर बेहद खुश हैं कि उसने पत्नी धर्म निभाया तो उसके पति की जान बच गई।

दरअसल फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम माडर निवासी प्रज्ञा सेंगर ने वर्ष 2000 के दौरान बेवर के बस स्टैंड निवासी पुष्पेंद्र सेंगर के साथ प्रेम विवाह किया था जो उस समय रोडवेज में परिचालक के पद पर तैनात था। बाद में दी गई परीक्षा के उपरांत पुष्पेंद्र सेंगर का चयन शिक्षा विभाग में हो गया और वह शिक्षक बन गया। इस समय उसकी तैनाती शाहजहांपुर जनपद में चल रही है। शादी के बाद प्रज्ञा एक बेटे की मां बन गई। 5 वर्ष पूर्व पुष्पेंद्र सेंगर के पेट में दर्द हुआ। चिकित्सक के पास ले जाकर जांच कराई गई तो पता चला कि उसका लीवर केवल 25 प्रतिशत ही रह गया है।

आगरा में कराई गई जांच में बताया गया कि राजधानी दिल्ली में ही केवल इसका उपचार हो सकता है। पुष्पेंद्र को इलाज के लिए राजधानी दिल्ली ले जाया गया लेकिन वहां के अस्पताल के चिकित्सकों ने भी पुष्पेंद्र की जान बचाने की बाबत अपने हाथ खड़े कर दिए। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में जब पुष्पेंद्र सेंगर को भर्ती कराया गया तो वहां के चिकित्सकों ने कहा कि यदि पुष्पेंद्र को लीवर डोनेट किया जाए तो उसकी जान बच सकती है।

यह बात सुनकर प्रज्ञा सेंगर ने अपने पति की जान बचाने का बीड़ा उठाया और बिना किसी हिचक के अपना 60 प्रतिशत लीवर पति को दान कर दिया। अब बाकी बचे 40 फीसदी लीवर के सहारे प्रज्ञा सेंगर अपनी बाकी बची जिंदगी को पूरा करेगी। लीवर प्रत्यारोपण के बाद जब पुष्पेंद्र सेंगर ने अपनी आंख खोली तो पत्नी के साथ अस्पताल के स्टाफ की भी आंखें डबडबा आई।

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