श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में ‘‘अमृत काल’’ पर सेमिनार का हुआ आयोजन

श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में ‘‘अमृत काल’’ पर सेमिनार का हुआ आयोजन

मुजफ्फरनगर। श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, मुजफ्फरनगर के सभागार में श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की इकाई आई.आई.सी.-एस.आर.जी.सी. (इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल-श्री राम गु्रप ऑफ कॉलेजेज) फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा, ए.आई.सी.टी.ई. (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) की सेमिनार श्रंखला के अन्तर्गत ‘‘अमृत काल’’ विमर्श विकसित भारत /2047’’ जो कि शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार की एक पहल का भाग है, को सहयोग देते हुए एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का शीर्षक रहा ‘‘साइबर क्राइम लॉज एण्ड प्रीवेंशन’’। सेमिनार के मुख्य संसाधन व्यक्ति रहे ‘डॉ0 अनूप गिरधर। डॉ0 अनूप गिरधर सेड्यूलिटी सॉल्यूशंस एण्ड टेक्नोलॉजी प्रा0 लि0 के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। यह कम्पनी आई0टी0 एक्सपर्ट्स और एथिकल हैकर्स का एक ग्रुप है जो कि सीक्योर डेवलपमेंट की ओर अग्रसर है। डॉ0 अनूप गिरधर, ‘साइबर टाइम्स’ समाचार पत्र के मुख्य सम्पादक तथा साइबर सिक्योरिटी कन्सलटेंट हैं।

‘‘अमृत काल विमर्श विकसित भारत /2047’’ पहल के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों को महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर भारत को अमृत काल में संगठित हो सुदृढ़ता से प्रवेश करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। अतः ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा चलाई जा रही सेमिनार श्रंखला इसकी एक पहल है जो कि प्रधानमन्त्री कार्यालय द्वारा एच्छिक है जिसके माध्यम से आज के युवा वर्ग में ज्ञान का संचार कर उन्हें जाग्रत कर हम विकसित भारत की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

इस सेमिनार के माध्यम से डॉ0 अनूप गिरधर ने बताया कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, साइबर अपराध राज्य सूची के अंतर्गत आता है। साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो कम्प्यूटर और नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। इसमें गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला जैसे गैरकानूनी रूप से किसी की निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत इस्तेमाल करना, उसमें फेरबदल करना, ऑनलाइन बैंक खातों से पैसे चुराना आदि सम्मिलित हैं ।

साइबर आतंकवाद के मामलों में दंड विधान के लिए सूचना तकनीक कानून, 2000 में धारा 66-एफ को जगह दी गई है। (क) किसी अधिकृत व्यक्ति को कंप्यूटर के इस्तेमाल से रोकता है या रोकने का कारण बनता है। (ख) बिना अधिकार के या अपने अधिकार का अतिक्रमण कर जबरन किसी कंप्यूटर के इस्तेमाल की कोशिश करता है।

उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए साइबर कानूनों पर निर्भर हैं। पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड चोरी और ऑनलाइन होने वाले अन्य वित्तीय अपराधों को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं। पहचान की चोरी करने वाले व्यक्ति को संघीय या राज्य आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें किसी पीड़ित द्वारा की गई नागरिक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का डॉ0 द्वारा विस्तार से उत्तर दिया गया एवं हर प्रश्न रूपी जिज्ञासा को भली भांति शांत किया गया।

इस अवसर पर निदेशक द्वारा संसाधन व्यक्ति को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए भविष्य में भी शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार की अन्य पहल में एस.आर.जी.सी. द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये जाने का विश्वास दिलाया गया।

इस अवसर पर डीन, एस.आर.जी.सी. डॉ0 सुचित्रा त्यागी, इलैक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन इंजी0 की विभागाध्यक्षा इं0 कनुप्रिया, कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजी0 के विभागाध्यक्ष इं0 आशीष चौहान, इलैक्ट्रिकल इंजी0 के विभागाध्यक्ष इं. अंकुर धीमान, सिविल इंजी0 के विभागाध्यक्ष इं0 अर्जुन सिंह, मैकेनिकल इंजी0 के विभागाध्यक्ष इं0 पवन चौधरी, इं0 शुभी वर्मा, श्री विवेक अहलावत, आकाश, फिरोज अली एवं मयंक आदि उपस्थित रहे।

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