रिवरफ्रंट घोटाला -काम पूरा हुआ नही कर दिया भुगतान

रिवरफ्रंट घोटाला -काम पूरा हुआ नही कर दिया भुगतान

लखनऊ। सीबीआई ने रिवरफ्रंट घोटाले में बड़ी कार्यवाही करते हुए लखनऊ, कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा में एक साथ छापामार कार्यवाही की है। 13 जनपदों के 42 ठिकानों पर एक साथ की जा रही तलाशी से हड़कंप मच गया है। सीबीआई ने कई सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।

सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन टीम ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाते हुए वर्ष 2017 की 30 नवंबर में नया मुकदमा दर्ज किया था। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता गुलेशचंद जो अब सेवानिवृत्त हो गए हैं, सेवानिवृत्त तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, स्वरूप सिंह यादव तथा अधिशासी अभियंता सुरेश यादव इस मामले में नामजद हैं। सीबीआई ने अपनी जांच फिर से शुरू करते हुए सिंचाई विभाग से हासिल की गई पत्रावलियों की जांच करने के अलावा कुछ आरोपियों से पूछताछ भी की है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 के अप्रैल माह में इस घोटाले की सीबीआई की जांच की संस्तुति करने से पहले न्यायिक जांच करवाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित की गई समिति ने जांच के दौरान दोषी पाए गए इंजीनियरों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की संस्तुति की थी। इसके बाद वर्ष 2017 की 19 जून को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉक्टर अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में यह जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दी गई थी। सीबीआई अब इस आरोप की जांच कर रही है कि प्रोजेक्ट के तहत निर्धारित कार्य पूर्ण कराए बिना ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि किस प्रकार से खर्च हो गई? प्रारंभिक जांच के अनुसार प्रोजेक्ट में मनमाने तरीके से खर्च दिखाते हुए सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। यह प्रोजेक्ट लगभग 1513 करोड रूपये का था। जिसमें से 1437 करोड रुपए काम खर्च हो जाने के बाद भी 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है। आरोप यह है कि जिस कंपनी को इस काम का ठेका गया दिया गया था वह पहले से ही काली सूची में शामिल थी।

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