BJP पर भारी पड़ी RLD - जयंत की निगरानी में मिली जीत

BJP पर भारी पड़ी RLD - जयंत की निगरानी में मिली जीत

बागपत। अनेक घटनाकर्मों के बीच तमाम उतार-चढ़ाव के चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे हॉट सीट मानी जा रही बागपत की जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर आरएलडी ने अपना कब्जा जमाते हुए भाजपा को पराजय झेलने को मजबूर किया है। कलेक्ट्रेट के बाहर जश्न मना रहे आरएलडी कार्यकर्ताओं ने पार्टी उम्मीदवार को मिली जीत को लोकतंत्र की विजय बताया है। बागपत में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरएलडी को मिली जीत को पार्टी सुप्रीमो जयंत चौधरी की निगरानी की जीत बताया जा रहा है जो फर्जी उम्मीदवार द्वारा आरएलडी प्रत्याशी का पर्चा वापस लिए जाने के बाद से ही मतदान तक की प्रक्रिया पर अपनी पैनी नजर रखे हुए थे।


शनिवार को बागपत में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन काबिज होगा, इसे लेकर राजनीति की ललक रखने वाले लोगों में भारी उत्सुकता बन रही थी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा के बाद से ही अनेक उतार-चढ़ाव देख चुकी बागपत की जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर 11.00 बजे जब मतदान शुरू हुआ तो दोनों ही खेमे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे थे। राजस्थान में अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों के साथ रहते हुए नाम वापसी के दिन नाम निर्देशन पत्र वापस हो जाने का दंश झेलने वाली आरएलडी प्रत्याशी ममता राज किशोर जब अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों के साथ वोट डालने के लिए पहुंची तो कलेक्ट्रेट के बाहर जमे लोगों में जिज्ञासा पसर गई। उधर भाजपा भी अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को लेकर मतदान कराने पहुंची। अपरान्ह 3.00 बजे मतदान का समय समाप्त होने के बाद मतों की गणना की गई। जिसमें भाजपा और आरएलडी के बीच संघर्षपूर्ण मुकाबला देखने को मिला। लेकिन अंत में जीत आरएलडी उम्मीदवार ममता किशोर के हाथ लगी।

उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार बबली देवी को 5 मतों से हराया जो सपा से बगावत करते हुए भाजपा खेमे में आई थी। दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने चुनाव की जब मतगणना की गई और आरएलडी उम्मीदवार को विजेता घोषित किया गया तो कलेक्ट्रेट के बाहर जमे आरएलडी कार्यकर्ताओं में हर्ष दौड गई। कलेक्ट्रेट के बाहर ही आरएलडी कार्यकर्ता जश्न मनाने लगे। उन्होंने पार्टी प्रत्याशी को मिली जीत को लोकतंत्र की जीत बताया बताया है। बागपत में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव ने चुनाव घोषणा के बाद से ही कई ऐसे घटनाक्रम झेले हैं जो चुनावी इतिहास में दर्ज हो गए हैं। शुरुआत में समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत उम्मीदवार बनाई जिला पंचायत सदस्य बबली भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थी। जिसके चलते भाजपा की ओर से बबली देवी को ही अपना उम्मीदवार बना दिया गया था। इसके बाद रात के अंधेरे में सवेरे लगभग 4.00 बजे आरएलडी द्वारा अपनी उम्मीदवार घोषित की गई ममता किशोर व उनके पति राजकिशोर की सांसद सत्यपाल सिंह के आवास पर भाजपा में एंट्री दिखा दी गई थी। आरएलडी नेताओं के घमासान पर अपने घर वापस लौटी आरएलडी प्रत्याशी ममता किशोर ने कार्यालय पर हुई बैठक के दौरान इस दलबदल को दबाव का परिणाम बताया था। इसके बाद आरएलडी उम्मीदवार ममता किशोर अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन करने के बाद समर्थक जिला पंचायत सदस्यों के साथ जनपद से 400 किलोमीटर दूर राजस्थान के लिये कूच कर गई थी। नाम वापसी के दिन एक महिला ममता किशोर बनकर दो अन्य महिलाओं के साथ कलेक्ट्रेट पहुंची और बड़ी सफाई के साथ आरएलडी उम्मीदवार का पर्चा वापस ले लिया। सोशल वीडियो पर मामला वायरल होने के बाद जब आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी ने अपने समर्थकों के साथ इस समूचे घटनाक्रम के विरोध में बागपत की तरफ कूच किया और उन्होंने इस मामले से राज्य निर्वाचन आयोग को अवगत कराया तो आरएलडी प्रत्याशी की नाम वापसी को लेकर निश्चित हुआ प्रशासन बैक फुट पर लौट आया। जिसके चलते डैमेज कंट्रोल करते हुए प्रशासन ने आरएलडी उम्मीदवार की नाम वापसी को अफवाह बताया और कहा कि उनका पर्चा पूरी तरह से वैध है। इस समूचे घटनाक्रम के बाद से ही रालोद मुखिया जयंत चौधरी मतदान तक की तमाम प्रक्रिया पर नजदीकी नजर रखे रहे। जिसके चलते पार्टी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हो सकी। समर्थकों ने आरएलडी उम्मीदवार को मिली जीत को पार्टी मुखिया जयंत चैधरी की निगरानी की विजय बताया है।

गौरतलब है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त ने लघु उद्योग कानपुर के प्रबंध निदेशक राम यज्ञ मिश्रा को प्रेक्षक बनाकर बागपत भेजा था। शुक्रवार को ही प्रेक्षक बागपत पहुंच गए थे और उन्होंने चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की थी। अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश किए जाने के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच आज मतदान की प्रक्रिया संपन्न की गई। मतगणना के बाद आए चुनाव परिणामों से भाजपा खेमे में भारी मायूसी देखी गई है। वहीं रालोद खेमा अभी तक खुशी के जश्न में डूबा हुआ है।

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