याद रहे पलटे हुए अंगूठे सत्ता भी पलट देते हैं, ये जनतंत्र है : अखिलेश यादव
लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में ट्वीट कर प्रदेश सरकार को घेरा है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा,"कभी-कभी यूं भी रखी जाती है 'इंसाफ़' की आबरू.. हिफ़ाज़त में रख लिये जाएं कुछ फ़ैसलों के फ़ैसले" वहीं अपने दूसरे ट्वीट में अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, "जिस प्रकार देशभर के परीक्षार्थियों ने अपनी 'नापसंदगी' दर्शाकर अपना रोष दर्ज किया है, उसने साफ़ कर दिया है कि चिंतित युवा और अभिभावक भी चाहते हैं कि सत्ताधारी अपना दंभ त्यागकर परिवारवालों की मांग सुनें। याद रहे पलटे हुए अंगूठे सत्ता भी पलट देते हैं। ये जनतंत्र है; मनतंत्र नहीं"
इससे पूर्व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा है कि भाजपा की तरफ से ये हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही हैं कि लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं, तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते। भाजपाई सत्ता के मद में ये भी भूल गए कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं, आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है। ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी?
कभी-कभी यूं भी रखी जाती है 'इंसाफ़' की आबरू
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 31, 2020
हिफ़ाज़त में रख लिये जाएं कुछ फ़ैसलों के फ़ैसले
अखिलेश यादव ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा ये समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा और कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदमइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा। इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है। नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसके सहयोगी दलों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है। हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें- जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।