उत्तर प्रदेश में अब विकसित हो सकेंगे निजी औद्योगिक पार्क

उत्तर प्रदेश में अब विकसित हो सकेंगे निजी औद्योगिक पार्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिये औद्योगिक विकास विभाग द्वारा तैयार की गयी नयी औद्योगिक नीति को मंत्रिपरिषद ने गुरुवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें उत्तर प्रदेश में निजी औद्योगिक पार्क भी स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।

राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल 'नंदी' ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां हुयी मंत्रिपरिषद की बैठक में 'नवीन उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति- 2022' को मंजूरी दी गयी। इस नीति के माध्यम से वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश पूरी तरह से तैयार है।

उन्होंने कहा कि राज्य में उपलब्ध लैंड बैंक में वृद्धि करने के उद्देश्य से नयी नीति में 'निजी औद्योगिक पार्कों' के विकास के लिए आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। निवेश के क्षेत्र के आधार पर 45 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन बुंदेलखंड और पूर्वाचल में 20 एकड़ या उससे अधिक जमीन पर बने निजी औद्योगिक पार्कों तथा मध्यांचल और पश्चिमांचल में 30 एकड़ या उससे अधिक के निजी औद्योगिक पार्कों का विकास करने वालों को 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 100 एकड़ से अधिक के पार्कों के लिए अधिकतम सब्सिडी की सीमा बढ़ा कर 50 करोड़ रुपये की गयी है। इस प्रकार के निजी औद्योगिक पार्कों में कार्यरत लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पार्क में डॉरमेट्री या होस्टल स्थापित करने के लिए 25 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन 25 प्रतिशत तक की पूंजीगत सब्सिडी का प्राविधान है।

उन्होंने कहा कि अभिनव विकल्प पर आधारित प्रोत्साहन मॉडल एवं उद्योगों के लिए भूमि सुविधा तंत्र से युक्त यह नीति, भारत सरकार की योजनाओं के पूरक पैकेज के साथ विदेशी निवेश को लक्षित करती है। चक्रण अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) के रोडमैप तथा अनुसंधान, विकास एवं इनोवेशन प्रोत्साहन के प्रावधानों से युक्त, उत्तर प्रदेश की नई औद्योगिक नीति राज्य के संतुलित, टिकाऊ और सर्वसमावेशी आर्थिक विकास पर केंद्रित है।

नंदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी व उत्कृष्ट निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए इस नीति को घोषित किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के इस नीति काे लागू करने का फैसला किया है। नई नीति से औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन को बल मिलेगा।

नंदी ने कहा कि इस नीति के माध्यम से राज्य में सतत समावेशी एवं संतुलित आर्थिक विकास तथा बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा। इससे अभिनव एवं उद्योग जगत हेतु उत्तरदायी प्रोत्साहन संरचना से राज्य में औद्योगिक विकास के एक नए युग की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि अगले साल यहां होने वाली 'यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट- 2023' की पृष्ठभूमि में तैयार की गयी इस नीति का उद्देश्य देश-विदेश से निवेश आकर्षित करने के साथ ही प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करने वाला एक प्रगतिशील, अभिनव व प्रतिस्पर्धी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना है।

नंदी ने कहा कि वर्ष 2017 की औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति की सफलताओं की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए, प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति, राज्य एवं देश के समाजिक और आर्थिक विकास में उद्योगों के महत्व को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक महत्वपूर्ण एवं प्रगतिशील आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति में विदेशी एवं स्वदेशी निवेशकों के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं व प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। देश में निवेश को आकर्षित करने के लिए अत्यंत आकर्षक एवं इष्टतम प्रोत्साहन पैकेजों का प्राविधान करते हुए, यह नीति, भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं नीतियों की पूरक व अनुपूरक है।

नई नीति के अंतर्गत तीन पारस्परिक रूप से भिन्न विकल्पों में से एक विकल्प चुनने का अवसर प्रदान करके निवेश को चार प्रमुख श्रेणियों (वृहद, मेगा, सुपर मेगा एवं अल्ट्रा मेगा) में वर्गीकृत किया गया है। इनमें से वृहद श्रेणी में 50 करोड़ रूपये से अधिक, किन्तु 200 करोड़ रुपये से कम, मेगा श्रेणी में 200 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक किन्तु 500 करोड़ रुपये से कम, सुपर मेगा श्रेणी में 500 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक, किन्तु 3,000 करोड़ रुपये से कम और अल्ट्रा मेगा श्रेणी में 3,000 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक पूंजी निवेश किया जा सकेगा। इन श्रेणियों में निवेशक को निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी के 03 पारस्परिक रूप से अनन्य विकल्प प्रदान किए जाएंगे, जिनमें पूंजीगत सब्सिडी, शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति तथा उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) टॉप-अप सब्सिडी सम्मिलित हैं।

वार्ता

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