प्रवीण पीटर की जमानत अर्जी पर नहीं हुई सुनवाई-अभी रहना होगा जेल में
मुजफ्फरनगर। नगर पालिका परिषद के स्वास्थ्य अधिकारी के साथ बोर्ड बैठक के दौरान दुर्व्यवहार एवं मारपीट करने के आरोपी सभासद की जमानत अर्जी पर विशेष अदालत में आज सुनवाई नहीं हो सकी है। विशेष अदालत में होने वाली सुनवाई आगामी 15 नवंबर तक स्थगित हो गई है। जिसके चलते सभासद को अभी कारागार से बाहर आने के लिए इंतजार करना होगा। बृहस्पतिवार को जिला अदालत में 1 नवंबर को नगर पालिका परिषद की बोर्ड बैठक में स्वास्थ्य अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार एवं मारपीट करने के मामले में जेल भेजे गए सभासद प्रवीण पीटर की जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी है।
वकीलों के न्यायिक कार्याे से विरत रहने की वजह से विशेष अदालत में जमानत की सुनवाई आगामी 15 नवंबर तक स्थगित कर दी गई है। जिसके चलते जेल गए सभासद की जमानत अर्जी पर अब 15 नवंबर को ही सुनवाई हो सकेगी। इस तरह से स्वास्थ्य अधिकारी के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करने के आरोप में जेल भेजे गए सभासद प्रवीण पीटर को अभी जेल से बाहर आने के लिए इंतजार करना होगा।
गौरतलब है कि नगर पालिका बोर्ड बैठक में एक नवंबर को सरेआम नगर स्वास्थ्य अधिकारी को थप्पड़ मारकर धक्का देने के मामले में नामजद आरोपी सभासद प्रवीण पीटर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सभासद की गिरफ्तारी के बाद नगर पालिका परिषद अध्यक्ष अंजू अग्रवाल के पुत्र अभिषेक अग्रवाल की अगुवाई में दर्जनों सभासद रात में ही कोतवाली पहुंच गए थे और सभासद की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उन्हे छोडे जाने की मांग की थी।। इतना ही नही थाने में सुनवाई ना होने के बाद रात्रि करीब 1.30 बजे उन्होंने राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल के आवास पर पहुंचकर सभासद को हिरासत से छुड़ाने की अपील की।
सभासद प्रवीण पीटर की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में नगर पालिका के सभासद कोतवाली पर एकत्र हो गए और उन्होंने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए सभासद को छोड़ने की अपील की। नगर पालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल के पुत्र अभिषेक अग्रवाल भी कोतवाली पहुंच गए। हालांकि पुलिस ने सभासद प्रवीण पीटर को नामजद आरोपी बताते हुए छोड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद बड़ी संख्या में सभासद एकत्र होकर रात्रि में करीब 1.30 बजे राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल के आवास पर पहुंचे। मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने रात्रि में ही एसएसपी अभिषेक यादव से बात की। एसएसपी ने राज्य मंत्री को बताया कि सभासद की पहले से ही हिस्ट्रीशीट खुली हुई है। उसके खिलाफ पहले भी मामले दर्ज हुए हैं। इस मामले में पुलिस ने चार दिन तक इंतजार किया, लेकिन समझौता नहीं होने के कारण पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।