पंचायत चुनाव- पत्नी भी नहीं बदल सकी ब्रह्मचर्य तोड़ने वाले का नसीब- मिली हार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अलग-अलग तरह के नजारे देखने को मिले हैं। आजीवन शादी नहीं करने का संकल्प तोड़कर शादी रचाते हुए घरवाली के जरिए प्रधानी करने का मंसूबा इस बार भी पूरा नहीं हो सका। रविवार को हुई मतगणना के बाद गांव वालों का जब फैसला आया तो ब्रह्मचर्य तोड़कर शादी रचाने वाले के अरमान आंसुओं में बह गए।
दरअसल बलिया जनपद के विकासखंड मुरली छपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा के जितेंद्र सिंह उर्फ हाथी सिंह ने बीते वर्ष 2015 में ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ा था और केवल 57 वोटों से हारकर इस चुनाव में उपविजेता बने थे। हार का वरण करने के बाद जितेंद्र सिंह पूरे 5 साल तक लगातार गांव वालों की सेवा करने में लगे रहे। लेकिन जब चुनाव की घोषणा हुई तो गांव की प्रधान पद की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई। जिससे जितेंद्र सिंह को अपने अरमानों पर पानी फिरता हुआ लगा और चुनाव मैदान में उतरने की उसकी मंशा चकनाचूर हो गई। इसी बीच जितेंद्र सिंह को निराश हुआ देख समर्थकों ने उन्हें शादी रचाने का सुझाव दिया। 45 वर्षीय जितेंद्र सिंह ने ग्राम प्रधान बनने की चाह में दोस्तों के सुझाव पर अमल करते हुए शादी करने की ठान ली। बीते माह की 13 अप्रैल को नामांकन से पहले जितेंद्र सिंह को शादी करनी थी। जिसके चलते आनन-फानन में दुल्हन की तलाश की गई। खोजबीन करते हुए बिहार की एक अदालत में जितेंद्र सिंह ने निधि के साथ शादी रचाई। इसके बाद 26 मार्च को गांव के ही धर्म नाथ जी मंदिर में गांव वालों के सामने जितेंद्र सिंह ने निधि के साथ शादी कर ली। बिना मुहूर्त के ही शादी करने वाले जितेंद्र सिंह ने नई नवेली दुल्हन को आते ही चुनावी मैदान में उतार दिया।
पत्नी के साथ खुद भी चुनाव प्रचार में जुटे और ग्रामीणों से संपर्क कर खुद को अपनी पत्नी को ग्राम प्रधान पद दावेदार बताया। निधि मेहंदी लगी हाथों के साथ ही चुनाव प्रचार करने में लगी रही। लोगों ने भी खूब आशीर्वाद दिया और साथ देने का वादा किया। लेकिन रविवार को हुई मतगणना के बाद जितेंद्र सिंह के तमाम अरमानों पर पानी फिर गया। उनकी तरह उनकी पत्नी निधि भी चुनाव हार गई। गांव से हरि सिंह की पत्नी सोनिका देवी 564 वोट पाकर जीत गई। जबकि जितेंद्र सिंह की पत्नी निधि को 525 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।