अब घर में होगी योगी की परीक्षा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी हाल में बिहार में विधानसभा चुनावों के दौरान स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव सभाएं की थी और भाजपा को वहां रिकार्ड सीटें भी मिली हैं। अब उनके अपने प्रदेश में पंचायत के चुनाव होने हैं। हालांकि इससे पूर्व प्रदेश में 7 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हुए और भाजपा को 6 पर सफलता मिली। इससे भी पता चला कि योगी की सरकार पर जनता पूरी तरह भरोसा कर रही है। योगी सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर उंगली उठाई जा रही थी लेकिन कानपुर के विकास दुबे काण्ड से ही प्रदेश के बड़े माफियाओं पर शिकंजा कसा जा रहा है। सरकार के निशाने पर राज्य के बाहुबली सफेद पोश भी हैं- खासकर विधायक मुख्तार अंसारी माफिया डान और पूर्व सांसद अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई की गयी। इनके अलावा गैंगस्टर अनिल दुजाना और सुंदर भाटी के नाम भी योगी की सूची में शामिल हैं। इस प्रकार जनता का भरोसा बढ़ा है।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में जीत का परचम फहराने के बाद बीजेपी ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है। सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपने सिंबल या फिर पार्टी अधिकृत प्रत्याशी उतारने की दिशा में मन बना लिया है। बीजेपी ने पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है।
सूबे में कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। वहीं, 3 जनवरी 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश में एक साथ तीनों पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके लिए वोटर लिस्ट का काम दिसंबर के आखिरी में पूरा कर लेने की डेड लाइन निर्वाचन आयोग ने तय कर रखी है। इसी के साथ पंचायतों के परिसीमन का काम भी चल रहा है, जिसके बाद माना जा रहा है कि अगले साल फरवरी में चुनाव कराए जाने की संभावना है। बीजेपी ने पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का ऐलान कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। बीजेपी प्रवक्ता डॉ चन्द्रमोहन ने बताया कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम हैं। इसीलिए बीजेपी ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारेगी। पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश भर में जिला संयोजक को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा छह मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि छह मंत्री और मंडल प्रभारी पंचायत चुनाव की कमान संभालेंगे। जिसमें भी चुनाव शब्द जुड़ा है, उसे बीजेपी हर हाल में लडेगी। हमारे लिए कोई चुनाव छोटा बड़ा नहीं है। यूपी में ऐसे बहुत सारे चुनाव हैं, बीजेपी जिन्हें पहली बार लड़ रही है। शिक्षक कोटे का एमएलसी चुनाव हो, गन्ना समिति का चुनाव हो या फिर पंचायत चुनाव बीजेपी यूपी के सभी चुनाव में पूरी ताकत से लड़ने का फैसला कर चुकी है। पंचायत चुनाव के जरिए हर गांव में नेतृत्व खड़ा करना बीजेपी का मकसद है। बीजेपी ग्राम प्रधान स्तर तक के चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी।
भाजपा ने पंचायत चुनाव जीतने के लिए जिलों में संयोजक तैनात कर दिए हैं, जो गांव-गांव दस्तक देकर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने ग्राम प्रधान के लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है। हालांकि, इस पर मंडल प्रभारी की मुहर के बाद ही उसे अधिकृत उम्मीदवार बनाया जाएगा। फिलहाल गांव स्तर पर पंचायत चुनाव मजबूती के साथ लड़ने वाले नेता को देखा जा रहा है। वहीं, विपक्ष अभी तय नहीं कर पा रहा है कि पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के साथ उतरा जाए कि नहीं। सपा जिला पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन बसपा ने अभी इस दिशा में कोई फैसला नहीं किया है। हालांकि, जिला पंचायत चुनाव बसपा पहले लड़ चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने जिला पंचायत चुनाव तो पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है और ग्राम प्रधान के चुनाव में अधिकृत प्रत्याशी उतारने को मन बना रही है।
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं हालांकि, इन चुनावों में राजनीतिक दल समर्थित प्रत्याशियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं। वहीं, अभी सिर्फ केरल और पश्चिम बंगाल में ही पंचायत चुनावों में राजनीतिक दल अपने सिंबल पर चुनाव लड़ते हैं। इसके अलावा अधिकृत उम्मीदवार को ही उतारते रहे हैं। सूबे के पिछले पंचायत चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी समर्थित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था।
कानून-व्यवस्था के साथ ही योगी की सरकार ने कोरोना को भी नियंत्रित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 प्रबंधन रणनीति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशंसा की है राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार डब्ल्यूएचओ कंट्री रिप्रेजेंटेटिव रोडरिको ने कहा कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए यूपी सरकार की रणनीतिक प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है और अन्य राज्यों के लिए एक अच्छा उदाहरण बन सकती है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार द्वारा कोविड-19 प्रबंधन के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले संपर्कों पर नजर रखने के लिए। कोविड-19 सकारात्मक मामलों के उच्च जोखिम वाले संपर्कों तक पहुंचने के लिए 70,000 से अधिक फ्रंट-लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में काम किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना पीड़ित मरीजों के सम्पर्क में आए 93 प्रतिशत लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर कोरोना की रफ्तार पर लगाम कसी है। कोविड-19 बचाव के लिए यूपी सरकार ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की रणनीति अपनाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शुरुआत से ही ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी परियोजना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से तैयार की गई 800 चिकित्सा अधिकारियों की प्रशिक्षित टीम ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, टेलीफोनिक साक्षात्कार, सर्वे और कोरोना संक्रामित मरीज के परिवार की जांच कराने के साथ उनसे लगातार सम्पर्क बनाए रखा। कोरोना संक्रमण के विश्लेषण के लिए राज्य कार्यालय में दैनिक डेटा एकत्र किया गया। सरकार के साथ संक्रमण की रफ्तार को लेकर नियमित समीक्षा की गई और डेटा को साझा किया गया। डब्लूएचओ के फील्ड मॉनिटर अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के खौफ की वजह से लोग जानकारी छुपाने का काम कर रहे थे. ऐसे में चिकित्सा अधिकारियों की टीम ने लोगों को जागरूक किया। बीमारी की गंभीरता के बारे में बताया। डब्लूएचओ के क्षेत्रीय टीम लीडर डॉ. मधुप बाजपेयी बताते हैं कि 1 लाख 63 हजार 536 कोविड-19 संक्रमित मरीज के कॉन्टैक्ट में आने वाले 93 प्रतिशत लोगों की जांच की गई। इस प्रकार योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण से भी जनता को बचाया है और पंचायत चुनाव में इसका भी प्रभाव पड़ेगा। (हिफी)