अब पीएम के गृह राज्य में भरेंगे राकेश टिकैत हुंकार
गाजियाबाद। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चैधरी राकेश टिकैत अब कृषि कानूनों के विरोध में प्रधानमंत्री के गृह राज्य में किसानों के बीच अपनी हुंकार भरेंगे। नए कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी में चल रहे आंदोलन मंे किसानों का समर्थन मांगने के लिए जल्द ही चै.राकेश टिकैत गुजरात जाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चैधरी राकेश टिकैत ने यह टिप्पणी दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर बार्डर पर चल रहे धरना स्थल पर पहुंचे गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों के एक समूह से मुलाकात के दौरान की। चैधरी राकेश टिकैत बीते साल के नवंबर माह से ही राजधानी दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ नए कृषि कानूनों के विरोध में अपना डेरा डाले हुए है।ं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि नए कृषि कानून केवल औद्योगिक घरानों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। किसान अंततः अपनी कृषि उपज का कोई हिस्सा नहीं कृषि कानूनों के जरिए नहीं ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर गांव में दूध की कीमत मुश्किल से 20-22 रूपये प्रति लीटर होती है। लेकिन जब गांव में उत्पादित यह दूध बड़ी व्यापारिक कंपनियों के जरिए शहरी लोगों तक पहुंचता है तो इसकी कीमत 50 रूपये प्रति लीटर से भी अधिक हो जाती है।
उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े व्यापारिक घराने खाद्यान्न का भंडार करने के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े गोदाम बना रहे हैं। निश्चित ही बाजार में खाद्यान्न की कमी होने पर बड़े औद्योगिक घराने गोदामांे में भरे खाद्यान्न को अपनी मुंह मांगी कीमत पर ही बेचेंगे। लेकिन देश का अन्नदाता इस तरह की स्थिति कतई उत्पन्न नहीं होने देगा। हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि नये कृषि कानूनों के जरिये देश की फसल को कारपोरेट घराने नियंत्रित न कर सकें। गुजरात के गांधीधाम से आए किसानों के समूह ने चैधरी राकेश टिकैत को चरखा चरखा भेंट करते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखे का इस्तेमाल किया था। अब हम किसान इस चरखे का सामूहिक रूप से इस्तेमाल कर कारपोरेट को कृषि क्षेत्र से भगा देंगे। चैधरी राकेश टिकैत ने कहा कि हम जल्दी गुजरात जाएंगे और नए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए वहां के किसानों का समर्थन प्रदर्शन के वास्ते मांगेंगे। इस बीच हरियाणा के रोहतक जिले से आई 20 से अधिक महिलाएं भी गाजीपुर में चल रहे आंदोलन में शामिल हुई और आंदोलन को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों किसान नये कृषि कानूनों के विरोध में लगभग तीन माह से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार नये कृषि कानूनों को रद्द करते हुए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाए।