यूपी की राजनीति में नये समीकरण
लखनऊ। भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम के सक्रिय रूप से शामिल होने के बाद यहाँ 2022 के विधानसभा चुनाव में समीकरण क्या होंगे, यह कहना अभी मुश्किल है। मौजूदा समय में भाजपा प्रचण्ड बहुमत से सत्तारूढ़ है और समाजवादी पार्टी मुख्य विपक्षी दल है। हालांकि उसके पास भी 403 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 54 विधायक हैं। तीसरे स्थान पर मायावती की बसपा है और चौथे स्थान पर कांग्रेस है। चौधरी अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) भी कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना दबदबा रखती थी लेकिन भाजपाई वटवृक्ष ने उसे दबा दिया है। अरविंद केजरीवाल ने 2022 में उत्तर प्रदेश के होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के भी उतरने की घोषणा की है। हालांकि, दिल्ली चुनाव के बाद ही यूपी में अपना राजनीतिक आधार बनाने की कवायद आम आदमी पार्टी ने शुरू कर दी थी, जिसकी कमान पार्टी नेता संजय सिंह के हाथों में है। इसके बाद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एनडीए से बगावत करने वाले ओमप्रकाश राजभर को अपने मोर्चे का नेता बना दिया है। इस प्रकार मुस्लिमों और पिछड़े वर्ग का एक नया मोर्चा उत्तर प्रदेश में बनने जा रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी की लखनऊ में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात के बाद छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। ठीक उसी तरह जिस तरह बिहार में 6 छोटे राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ओवैसी ने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था और चुनाव लड़ा था। इस फ्रंट ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस मोर्चे के संयोजक पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव हैं। इन 6 दलों में रालोसपा (आरएलएसपी), एआईएमआईएम, बहुजन समाज पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक और जनतांत्रिक पार्टी सोशलिस्ट शामिल हैं। इन सभी 6 पार्टियों में 3 बिहार केंद्रित पार्टियां हैं लेकिन 3 पार्टियां ऐसी हैं जिनका यूपी में भी अपना वजूद है।अब सवाल यही है कि क्या बिहार गठबंधन में शामिल बसपा भी यूपी के चुनाव में एआईएमआईएम के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, हालांकि गठबंधन की कवायद शिवपाल यादव के साथ भी जारी है। यूपी में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद आप के साथ गठबंधन पर भी ओवैसी कहते हैं कि रास्ते सबके लिये खुले हैं। इसके अलावा अपना दल के कृष्णा पटेल गुट को भी ये महागठबंधन अपने साथ लाना चाहता है। फिलहाल ओवैसी की नजर यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव पर है। बिहार में 5 विधायकों की जीत ने ओवैसी को कॉन्फिडेंस से भर दिया है। इसके अलावा ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने भाजपा का मुकाबला किया है। वहां के 150 सभासदों के नगर निगम में एआईएमआईएम ने 44 सभासदों को अपने साथ जोड़ा । इन सभासदों में से चार हिन्दू धर्म के हैं। हालांकि वहां भाजपा ने अपना प्रदर्शन काफी बेहतर किया है और पिछली बार के चुनाव में भाजपा को सिर्फ चार पार्षद मिले थे, इस बार 48 पार्षद मिले हैं और बीजेपी दूसरे नम्बर की पार्टी बन गयी है। तेलंगाना की सत्तारूढ़ टीआरएस को नुकसान हुआ।
बिहार और हैदराबाद के समीकरणों को उत्तर प्रदेश के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस बार बडा बदलाव देखने को मिल सकता है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने एन्ट्री मारी है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में भी अपने पैर जमाने का सफल प्रयास किया है।
उत्तर प्रदेश में भागीदारी संकल्प मोर्चा में राजभर की एसबीएसपी के अलावा यूपी के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, बाबू राम पाल की राष्ट्रीय उदय पार्टी, अनिल सिंह चैहान की जनता क्रांति पार्टी और प्रेमचन्द प्रजापति की राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी शामिल हैं। इसके साथ ओवैसी ने कहा कि हम अब राजभर के मोर्चा का हिस्सा हैं। आज मैं उनसे मिला हूं, हम उनके साथ जाएंगे। भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन पहले ही किया गया था। हम उनके साथ रहेंगे। वहीं, उन्होंने कहा कि राजभर की पार्टी ने हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवारों की जीत में भूमिका निभाई थी। ओवैसी से जब पूछा गया कि क्या बसपा प्रमुख मायावती भी भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा होंगी, इस पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मैं इतना जानता हूं कि मैं भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा हूँ और हम इसे आगे ले जाएंगे और देखेंगे कि भविष्य में क्या होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमने पांच साल पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि तब हमें कोई सफलता नहीं मिली थी. फिर हमने नगर निगम चुनाव लड़ा था, हम यहां लगातार काम कर रहे हैं।
ओवैसी से मुलाकात के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा, हमने एक साल पहले भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया था और हम 2022 का विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेंगे। कल तक लोग कहते थे कि ओपी राजभर अकेला है और वह क्या कर लेगा? अब जब ओवैसी आये है तो लोगों को परेशानी क्यों हो रही है। साथ ही कहा कि हमने मोर्चा चुनाव जीतने के लिए बनाया है और हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे।राजभर से पूछा गया कि एआईएमआईएम को भाजपा की 'बी टीम' कहा जाता है तो उन्होंने कहा, अगर आप उत्तर प्रदेश में देखेंगे तो 'बी टीम' समाजवादी पार्टी (सपा) है, 'सी टीम' बहुजन समाज पार्टी (बसपा) है और 'डी टीम' कांग्रेस पार्टी है। हम 2022 में उत्तर प्रदेश में सरकार बनायेंगे। सच्चाई यह है कि सपा, बसपा और कांग्रेस किसी में कुव्वत नहीं है कि वह चुनाव में अकेले जा सकें। आज भाजपा एक ताकतवर पार्टी है और बिना किसी मोर्चे के कोई अन्य दल आगे नहीं बढ़ सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के दंगल में आम आदमी पार्टी भी उतरेगी। आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी 2022 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। आप के इस ऐलान के बाद बीजेपी सहित कई विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी आई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से केजरीवाल के ऐलान पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, किसका नाम ले लिया, मूड ऑफ हो गया। वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिनसे दिल्ली संभल नहीं रही है, वो 24 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश को संभालेंगे। प्रदेश में आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। केजरीवाल जरूरत से ज्यादा बड़ी बातें कर रहे हैं। उनकी हालत कांग्रेस से भी बुरी होने वाली है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि कौन क्या कहता है, इस पर समाजवादी लोग विश्वास नहीं करते हैं। हमारा लक्ष्य होता है कि प्रदेश में विकास कैसे हो। रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हमारे मुद्दे होते हैं। उन्होंने कहा 2022 में समाजवादी पार्टी इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी।
इन लोगों के बयान अपनी जगह हैं लेकिन प्रदेश में नये राजनीतिक समीकरणों से चुनावी परिदृश्य बदलेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। (हिफी)