AMU परिसर से मोदी का संदेश

AMU परिसर से मोदी का संदेश

अलीगढ। उत्तर प्रदेश में जब बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का जिक्र किया जाता है, तब एक साम्प्रदायिक बहस शुरू हो जाती है। शिक्षा की यही दोनों संस्थाएं हैं जिनके नाम से धर्म को नहीं हटाया गया। गत 22 दिसम्बर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का शताब्दी कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशेष रूप से इसी पक्ष पर प्रहार किया। देश के विकास में एएमयू के आयोजन की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास मंत्र को याद दिलाया। एएमयू परिसर से मोदी ने संदेश दिया कि जो भी देश का है, वो देश के हर नागरिक का है और संविधान के तहत सभी को अधिकार मिले हैं। ऐसा कहते समय प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लेकर मुस्लिम वर्ग के विरोध को आधारहीन बताने का प्रयास किया है। मोदी ने कहा हम सभी को मिलकर नया और आत्मनिर्भर भारत बनाना है। एएमयू के उपकुलपति (वाइस चांसलर) प्रो. तारिक मंसूर ने सर सैयद अहमद के द्वारा संस्थापित इस शिक्षा संस्थान का इतिहास बताते हुए मौजूदा कार्यकलापों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह चमन सिर्फ डिग्री ही नहीं देता बल्कि मोहब्बत और भाईचारे का संदेश भी देता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि एएमयू की दीवारों में देश का इतिहास है, यहां से पढ़ने वाले छात्र दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां से निकले छात्रों से कई बार विदेश में उनकी मुलाकात हुई, जो हमेशा हंसी-मजाक और शेर-ओ-शायरी के अंदाज में खोए रहते हैं। पीएम मोदी ने बताया कि एएमयू के चांसलर ने उन्हें कुछ दिन पहले चिट्ठी लिख कोरोना वैक्सीन के मिशन के दौरान हर संभव मदद का भरोसा दिया है। एएमयू में एक मिनी इंडिया है। यहां उर्दू-हिन्दी-अरबी-संस्कृत पढ़ाई जाती है।

पीएम बोले कि यहां की लाइब्रेरी में कुरान है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी हैं। एएमयू में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अच्छी तस्वीर है। यहां पर इस्लाम को लेकर जो रिसर्च होती है, उससे भारत का इस्लामिक देशों से संबंध अच्छा होता है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सर सैयद का संदेश कहता है कि हर किसी की सेवा करें, चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो। ऐसे ही देश की हर समृद्धि के लिए उसका हर स्तर पर विकास होना जरूरी है, आज हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के विकास का लाभ मिल रहा है। पीएम बोले कि नागरिक संविधान से मिले अधिकारों को लेकर निश्चिंत रहे, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ही सबसे बड़ा मंत्र है। मुझे बहुत से लोग बोलते हैं कि एएमयू कैंपस अपने आप में एक शहर की तरह है। अनेक विभाग, दर्जनों हॉस्टल, हजारों टीचर-छात्रों के बीच एक मिनी इंडिया नजर आता है। यहां एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है, तो हिंदी भी। अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृति की शिक्षा भी दी जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ वक्त पहले एएमयू के एक पूर्व छात्र ने उनसे बात करते हुए बताया। कभी मुस्लिम बेटियों का स्कूल से ड्रॉप आउट रेट 70 फीसदी से अधिक था, कई दशकों से ऐसी ही स्थिति थी। लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के बाद अब ये घटकर 30 फीसदी तक रह गया है। पीएम मोदी बोले कि एएमयू में भी अब 35 फीसदी तक मुस्लिम बेटियां पढ़ रही हैं। इसकी फाउंडर चांसलर की जिम्मेदारी बेगम सुल्तान ने संभाली थी। पीएम मोदी बोले कि अगर महिला शिक्षित होती है, तो पूरी पीढ़ी शिक्षित हो जाती है। पीएम मोदी ने बताया कि आज हमारी सरकार ने तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं की मदद करने का फैसला लिया। पीएम मोदी ने कहा कि एएमयू के सौ साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में सौ हॉस्टल के छात्र कुछ रिसर्च करें। आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में रिसर्च करें, जिनके बारे में अब तक काफी कम लोग जानते हैं। इनमें 75 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, 25 महिला स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानकारी इकट्ठा करें।

मोदी ने कहा कि समाज में वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात राष्ट्र के लक्ष्य के प्राप्ति की हो तो सभी मतभेद को किनारे रख देना चाहिए। देश में कोई किसी भी जाति या मजहब का हो, उसे देश को आत्मनिर्भर बनाने की ओर योगदान देना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि एएमयू से कई सेनानी निकले हैं, जिन्होंने अपने विचारों से हटकर देश के लिए जंग लड़ी। पीएम मोदी ने कहा कि सियासत सिर्फ समाज का एक हिस्सा है, लेकिन सियासत-सत्ता से अलग देश का समाज होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेंगे, तो कुछ तत्व ऐसे होते हैं जिन्हें इससे दिक्कत होगी। वो तत्व हर समाज में हैं, लेकिन हमें इन सबसे आगे बढ़कर देश के लिए काम करना चाहिए।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी संस्थापक सर सैयद अहमद खां की दूरदर्शी सोच की परिणति है। सत्रहवीं शताब्दी के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए साल 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना। सर सैयद अहमद खां बनारस से कैंब्रिज आक्सफोर्ड देखने गए थे, वहीं से उनके जेहन में ये ख्वाब आ गया था कि इंडिया में जब जाएंगे तो उसी लेवल का संस्थान बनाएंगे और 1857 की क्रांति के बाद सर सैयद ने ये महसूस किया कि अंग्रेजों ने जो तरक्की हासिल की है, वो आधुनिक शिक्षा विज्ञान के बल पर प्राप्त की है। इसलिए 9 फरवरी 1873 को पहली मीटिंग बनारस में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी की हुई। उन्होंने तय किया कि हम मदरसा या कॉलेज नहीं बना रहे बल्कि यूनिवर्सिटी बना रहे हैं। उस दौर में प्राइवेट में यूनिवर्सिटी एलाऊ नहीं थी इसलिए 24 मई 1873 को मदरसा बना। और 8 जनवरी 1877 को फाउंडेशन स्टोन रखा गया। पहली दिसंबर 1920 ये वायसराय से एप्रूव हुई। 17 दिसंबर को इसका उद्धाटन हुआ। ये यूनिवर्सिटी जिस 74 एकड़ भूमि पर बनी है वो कभी फौज की छावनी थी। जिस राजा महेन्द्र सिंह का नाम यूनिवर्सिटी को जमीन दान देने के तौर पर लिया जाता है, वो स्वयं यहां के छात्र थे। अलीगढ़ ने कई फ्रीडम फाइटर पैदा किए। यहां पर 1906-1907 में यूरोपियन स्टाफ के खिलाफ हड़ताल हुई थी। उसका नतीजा ये हुआ कि 1920 में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले एक दूसरा विश्वविद्यालय कायम हुआ जिसे स्वतंत्रता सेनानियों ने बनाया। जो बाद में दिल्ली में शिफ्ट हुआ। (हिफी)

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