बहुचर्चित कांड में विधायक व अन्य 32 साल बाद बरी
आगरा। उत्तर प्रदेश में आगरा के थाना सिकंदरा क्षेत्र के बहुचर्चित पनवारी कांड में 32 साल बाद स्थानीय अदालत ने अपने फैसले में गवाहों एवं सबूतों के अभाव में विधायक चौधरी बाबूलाल व अन्य अभियुक्तों को दोषमुक्त करार दिया है।
बारात के गुजरने को लेकर जाट और जाटव समुदाय के बीच 32 साल पहले हुए जातीय संघर्ष से जुड़े 'पनवारी कांड' ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरीं थीं। इस हिंसा से पूरे जिले ही नहीं, आसपास के जनपदों में भी तनाव फैल गया था। पनवारी गांव में 22 जून, 1990 को अनुसूचित जाति के चोखे लाल की बेटी की बारात आई थी। बारात की चढ़त को लेकर गांव में जाट समाज के लोगों ने विरोध किया। इसको लेकर पथराव, फायरिंग और आगजनी हुई थी। इसके बाद कर्फ्यू भी लगाया गया था।
इस मामले में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत अन्य काे आरोपी बनाया गया था। चौधरी बाबूलाल उस समय प्रधान कहलाते थे और गांव की राजनीति तक ही सीमित रहते थे। विवाद में नाम आने के बाद से वे प्रधानी से ऊंचे स्तर की राजनीति में आ गए। इन 32 वर्षों में सांसद, विधायक व मंत्री आदि पदों पर भी पहुंचे। शुरुआती दिनों में लोकदल का झंडा उठाने वाले बाबूलाल पिछले कई साल से भाजपा में हैं और वर्तमान में भी फतेहपुरसीकरी सीट से विधायक हैं।
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश नीरज गौतम ने मामले की सुनवाई करने के बाद आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया। इससे पूर्व 12 अप्रैल, 2006 को तत्कालीन स्पेशल जज जनार्दन गोयल ने मुख्य अभियुक्त चौधरी बाबूलाल, बच्चू सिंह, रामवीर, बहादुर सिंह, रूप सिंह, देवी सिंह, बाबू सिंह, विक्रम सिंह, रघुनाथ सिंह, रामऔतार, शिवराम, भरत सिंह, श्यामवीर और सत्यवीर के खिलाफ आरोप तय किए थे। विचारण के दौरान दो अभियुक्तों की मृत्यु हो गई।
वार्ता