चाईना के माल पर लगाम से पर्यावरण के अनुकुल दीयों की बढी मांग
हापुड़। गाय के गोबर व घी सहित पाँच तत्वों से इको फ्रेंडली दीपक तैयार किये जा रहे है। चाईना का माल बन्द होने से प्रकाश के पर्व दीपावली पर स्वदेशी दीयो की भी मांग भी शहर में बढ़ने लगी है। प्रदूषण से शहर और जनपद को मुक्त किया जा सके इसके लिए इको फ्रेंडली दीयो की मांग भी बढ़ रही है। जिससे सभी लोग काफी खुश नजर आ रहे है। इको फ्रण्डली दीपको से प्रकाश पर्व दीपावली में परंपराओं के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण की झलक भी देखने को मिलेगी। पर्व में प्रकाश के साथ साथ मिट्टी के दीपक का सोंधापन व गाय के गोबर की सुगंध भी शामिल होगी। इस बार दीपावली पर गाय के गोबर से बने दीपकों को प्रज्ज्वलित किया जाएगा।
जनपद में अधिक से अधिक घरों में इन दीयों की रोशनी होगी। वहीं दूसरी तरफ गोबर से बने दीपक में घी मिलने से इससे निकलने वाला धुंआ भी वातावरण के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। साथ ही गोबर से बने दीपक से वातावरण में भी शुद्धता होगी।
पर्यावरण के अनुकुुल दीपक बनाने वाली एक महिला से जब बात की तो बताया कि देश के प्रधानमंत्री जहां महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उसी के मद्देनजर हमारे स्वयं सहायता समूह के द्वारा इको फ्रेंडली दीयों को तैयार कर मार्केट में भेजा जा रहा है। इनकी काफी डिमांड भी हो रही है। इन दीयो को तैयार करने में हम लोग गाय के गोबर सहित कई अन्य चीजों का भी इस्तेमाल करते हैं। जिससे दीपावली पर जलने वाले इन दीए से जहां पोलूशन कम होगा तो वही इन दीयो को सरसों के तेल व घी से दीपक जलाए जाएंगे तो इससे निकलने वाले धुंए से वातावरण भी शुद्ध होगा और बहनों को इससे रोजगार भी मिल रहा है और बहने अपने परिवार के पालन में सशक्त भागीदारी निभा रही हैं।