किसान की जेब खाली है तो कहां से करे बिजली बिलों का भुगतान- जयंत
मेरठ। राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि नये कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को तरह-तरह के उपनाम देकर बदनाम किया जा रहा है। खुद को देश से भी बडा समझने वाली सरकार को समझ जाना चाहिए कि वह किसानों से बडी नही हो सकती।
शनिवार को जनपद के मवाना थाना क्षे़त्र के भैंसा में राष्ट्रीय लोकदल के तत्वाधान में आयोजित की गई किसान पंचायत को संबोधित करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को शुरू से ही बदनाम करने पर लगी हुई है। कृषि कानूनों को वापिस लिये जाने की मांग का लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी और उपद्रवी कहकर भाजपा ने देश के अन्नदाताओं को अपमानित किया है।
पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि 1942 में अगस्त क्रांति के माहौल में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना आदि में ही भूमिगत होकर "गुप्त" क्रांतिकारी संगठन को खड़ा किया था।
लेकिन केंद्र सरकार खुद को किसानों से बड़ा समझकर हमें बांटने की कोशिश कर रही हैं। मैं सरकार को कहना चाहता हूं कि किसानों की पहचान एक ही है कि हमारा खून एक है।
दिल्ली की सीमाओं पर 3 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं बुजुर्ग किसानों को नमन करते हुए जयंत चौधरी ने गन्ना किसानों की समस्याओं को उठाया और कहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ने का भाव ना बढ़ाकर किसानों की मेहनत का अपमान किया है। मवाना की चीनी मिल पर चालू वर्ष में किसानों का 200 करोड़ से अधिक भुगतान बकाया है।
चुनाव के समय 14 दिन में भुगतान करने का वादा करने वाली भाजपा सरकार में आज 13000 करोड से ज्यादा गन्ना किसानों का भुगतान बकाया है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मंचों पर किसानों की आय दुगुनी करने का वादा करने वाले गन्ने का भाव नहीं बढ़ाने की हिम्मत तक नही जुटा पा रहे है। अच्छे दिन लाने के ख्वाब दिखाने वाली सरकार ने पेट्रोल, डीजल, बिजली का दाम दोगुना कर दिया। बिजली विभाग ने आसपास के गांवों में बकाएदारों के बिजली कनेक्शन काटने का अभियान चला रखा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब चीनी मिलें गन्ने का भुगतान नहीं कर रही हैं तो ऐसे में बिजली का बिल कहां से भरें किसान।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में किसान समृद्धि आयोग का गठन तो करते हैं लेकिन इसकी एक भी बैठक नहीं करते हैं। किसान पंचायत में मौजूद युवाओं से सवाल करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि क्या आपके गाँव में आकर कोई किसानों को पिटेगा तो आप बर्दाश्त करोगे?
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए नये कृषि कानूनों से देश का किसान बर्बाद हो जाएगा। जब तक काले कानून वापस नहीं होंगे तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी पिछले सत्तर साल में जो संस्थाए पूर्व की सरकारों में बनी हैं, उन सबको खराब करके दोबारा बनाना चाहते हैं लेकिन बंनाने की काबलियत उनमें नही हैं। इसी तरह से देश में नोटबंदी लागू करते समय गरीबों को सपना दिखाया कि अमीरों से लेकर गरीबों में पैसा बाँटा जाएगा। मैं पूछता हूँ क्या नोटबंदी से आज तक किसी को कोई फायदा हुआ?
किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली सोनिया मान और हरिंदर बिंदु के विषय में जयंत चौधरी ने कहा कि दोनों के पिता की हत्या खालिस्तानीयों ने की और वे इस आंदोलन में किसानों की सेवा कर रही है।
जयंत चौधरी ने सेना से रिटायर्ड गुरमुख सिंह का भी जिक्र किया और कहा क्या किसानों के लिए लंगर चलाना गुनाह हैं? और एक सेना का जवान जिसने तीन लड़ाईयां देश के लिए लड़ी हो वो देश विरोधी हो सकता हैं?
जयंत चौधरी ने 2010 में मोदी जी द्वारा सुझाई गई रिपोर्ट का भी जिक्र किया और कहा कि जब उस समय मोदी जी एमएसपी पर कानून के पक्ष में थे तो आज वे विरोध में क्यूँ हैं। क्यों एमएसपी को कानूनी दायरे में लाना नही चाहते।
किसान पंचायत में काले कृषि कानूनों को सिरे से खारिज करने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को पूरे तरीके से लागू करने, सभी किसानों को एमएसपी दिये जाने, आंदोलन में शामिल लोगों को नोटिस भेजने और उन पर आपराधिक मुकदमें दर्ज करना बंद करने के प्रस्ताव पारित किये गये।