मानसिक तनाव वाली स्थिति में आने वाले छात्रों को डॉ. अर्पण जैन की सलाह

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मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई की ओर से गांधी इंटर कॉलेज चरथावल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मनोचिकित्सक डॉ अर्पण जैन ने छात्र-छात्राओं को मानसिक रोगों के बारे में जागरूक किया। नशे के प्रति युवाओं में बढ़ती प्रवृति से बचने के साथ ही जीवन में अच्छे काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नशा मुक्त समाज निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका से उन्हें अवगत कराया। इस दौरान साइकोथेरेपिस्ट मनोज कुमार ने छात्र-छात्राओं को मानसिक रोगों से बचने के टिप्स दिए। उप प्रधानाचार्या मीरा मौर्या, अरुण कुमार कौशिक, समीर कुमार, संजय कुमार, ललित कुमार, अजय कुमार, बाबूराम, कपिल आत्रेय, अंशिका मलिक एवं रिजवान समेत छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया- मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आमतौर पर लोग जागरूक नहीं हैं। बदलते परिवेश में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अवसाद समेत कई मानसिक रोगों के शिकार लोग समाज और परिवार में उपेक्षित रहते हैं। ऐसे रोगियों को डॉक्टर और दवा की जरूरत होती है। इस बात को समझने में देरी की जाती है। खासकर ग्रामीण इलाके में तो इसे बीमारी माना ही नहीं जाता है बल्कि अंधविश्वास में लोग झाड़-फूंक या तांत्रिक के चक्कर में फंस जाते हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है।

मनोचिकित्सक डॉ अर्पण जैन ने बताया विद्यार्थियों को भी समय के साथ जागरूक होने की जरूरत है। हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को परेशानी हो। नशे से छात्र-छात्राओं को दूर रहना चाहिए। और अच्छे काम पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा - मानसिक रोग भी अन्य रोगों की तरह ही है जो ठीक हो सकता है। कई तो महज काउसलिंग से ही ठीक हो जाते हैं उन्हें दवा की जरूरत नहीं होती है। मानसिक रोगी का इलाज लंबा चलता है। उन्होंने कहा - लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा - अगर किसी छात्र-छात्रा को किसी वजह से कोई परेशानी हो रही है और मानसिक तनाव है तो सबसे पहले अपने अभिभावकों को बताएं। यदि फिर भी समाधान न निकल सके तो जिला अस्पताल की ओपीडी में परामर्श ले सकते हैं।

साइकोथेरेपिस्ट मनोज कुमार ने बताया- मानसिक रोग के लक्षण बहुत अलग नहीं होते हैं। सामान्य लक्षणों में ही पहचान करनी होती है। मानसिक रोग के लक्षणों में सिर दर्द, नींद कम या ज्यादा आना, चिड़चिड़ापन, उदासी, गुस्सा, डर लगना, शक संदेह करना, साफ-सफाई ज्यादा करना, नशा करना, विचित्र अनुभव करना, अजीब विचार या व्यवहार, मानसिक तनाव, अजीबोगरीब आवाजें सुनाई पड़ना, मिर्गी का दौरा, बार-बार बेहोशी आना, बुद्धि कम होना, आत्महत्या का ख्याल आना, बच्चों की व्यवहारात्मक समस्याएं, भूलना या याददाश्त की कमी, झाड़-फूंक या तांत्रिक के पास जाने की इच्छा, बिना कारण के हंसना, रोना, खुद से बातें करना, खुद को अलग-अलग रखना आदि है। इसके लक्षण मिलने पर गहन जांच और चिकित्सा की जरूरत होती है।

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