मुजफ्फरनगर के जिला महिला अस्पताल को मिला "मां" अवार्ड
मुजफ्फरनगर। वर्ष 2021-22 में स्तनपान व्यवहार के प्रोत्साहन में उल्लेखनीय कार्य के लिए जिला महिला अस्पताल को "मां" अवार्ड से सम्मानित किया गया है। जिला महिला अस्पताल को महानिदेशक एवं मिशन निदेशक की ओर से प्रशस्ति पत्र दिया गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने कहा- मुजफ्फरनगर को वर्ष 2021-22 में स्तनपान व्यवहार के प्रोत्साहन में उल्लेखनीय कार्य के लिए जिला महिला अस्पताल को "मां" अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह जनपद के लिए गौरव की बात है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आभा आत्रेय ने कहा- स्तनपान व्यवहार के प्रोत्साहन में उल्लेखनीय कार्य के लिए जिला महिला अस्पताल को "मां" अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इसका श्रेय समस्त स्टाफ को जाता है।
डॉ. आभा ने स्तनपान कराने वाले माताओं को संदेश देते हुए कहा- स्तनपान एक बेहद जरूरी प्रक्रिया है, जिसके बारे में जागरूकता लाना आवश्यक है। मां का दूध प्रजनन प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है, जिसका मां और शिशु की सेहत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। स्तनपान से बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने में मदद मिलती है, गर्भाश्य और स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा साथ ही साथ यह मोटापे से बचाव में भी भूमिका निभाता है। शिशुओं के लिए मां का दूध पहला कुदरती आहार है, यह न सिर्फ जन्म के बाद के शुरुआती महीनों में शिशुओं की जरूरत की समस्त ऊर्जा और पोषक तत्व उपलब्ध कराता है, बल्कि निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रमणों से बच्चों की रक्षा भी करता है। शिशु के जन्म के बाद वाले शुरुआती छह महीनों के दौरान उसे केवल मां का दूध पिलाने तथा किसी भी तरह का अतिरिक्त आहार न देने और यहां तक कि पानी तक नहीं पिलाने की सलाह देते हैं। जन्म के एक घंटे के भीतर शिशु को मां का दूध पिलाना जरूरी है, क्योंकि गर्भावस्था की समाप्ति पर बनने वाला पीला, गाढ़ा दूध नवजात शिशु के लिए बिल्कुल उपयुक्त आहार होता है। जन्म के बाद वाले शुरुआती छह महीनों के दौरान शिशु को केवल मां का दूध पिलाना चाहिए और उसके बाद उसे दो साल का होने तक या उसके बाद भी उचित पूरक आहार के साथ-साथ मां का दूध पिलाना जारी रखना चाहिए।