डिप्टी CM पाठक ने की अध्यक्षता- हर साल होंगी इतनी भर्तियां
लखनऊ। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सोसाइटी की शासी निकाय बैठक में मंगलवार को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मुहर लगी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) आलोक कुमार, विभागीय अफसरों व महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की उपस्थिति में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें नर्सिंग सेवा परिनियमावली को स्वीकृति, महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों के अधिकारों में वृद्धि व अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु अलग-अलग फंडों को लेकर अनुमति प्रदान की गई। पहले चरण में 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को भी हरी झंडी मिली है।
योजना भवन के वैचारिकी हॉल में उप मुख्यमंत्री व सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में आहूत बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के दौरान तीन अहम निर्णय लिए गए। इनमें नर्सिंग सेवा परिनियमावली को स्वीकृति, प्रधानाचार्यों के अधिकारों में वृद्धि व धन की व्यवस्था के लिए अलग-अलग फंड बनने पर अध्यक्ष ने सहमति प्रदान की। नर्सिंग सेवा परिनियमावली स्वीकृति के तहत पहले चरण में 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति होगी। नियुक्ति हेतु एसजी पीजीआई को परीक्षा कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। तीन माह में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए हर साल करीब दो हजार नर्सों की नियुक्ति की जाएगी। सरकार की ओर से जो भी वादा किया गया है, वो पूरा किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की ओर से व्यापक स्तर पर योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) आलोक कुमार ने बताया कि दूसरे महत्वपूर्ण निर्णय के तहत इन महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को नियुक्ति, अवकाश स्वीकृति, क्रय, अनुरक्षण व अन्य प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों का अनुमोदन किया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर ही निर्णय लेने में आसानी रहेगी एवं योजनाओं के क्रियांवयन में भी विलम्ब नहीं होगा। महाविद्यालयों के बैंक खातों को संचालित करने के लिए भी प्रधानाचार्यों को अधिकार दे दिए गए हैं। इन बैंक खातों में जमा धन का उपयोग मरीजों व छात्रों के हित में किया जाएगा।
तीसरे महत्वपूर्ण निर्णय के तहत संबंधित संस्थानों में दवा व उपकरण खरीदने हेतु एसजी पीजीआई की तर्ज पर हॉस्पीटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) व पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी व मरीजों को अन्य जांचें उपलब्ध कराने के लिए इंवेस्टिगेशन रेंडरिंग फंड (आईआरएफ) की व्यवस्था को भी हरी झंडी मिल गई है। इन फंडों के जरिए स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को सभी सुविधाएं मिल जाएंगी। डिप्टी सीएम ने सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया कि मरीजों की देखरेख में किसी तरह की कोताही न बरती जाए। स्थानीय स्तर पर ही मरीज को इलाज मिल जाए। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।