COVID 19 - कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अभिनव गोयल के सुझाव
मुज़फ्फरनगर । बिजली विभाग में कार्यरत अभिनव गोयल (मोन्टू) जब कोरोना संक्रमित हो गए तो उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साहस , परिजनों एंव मित्रों से मिले सपोर्ट से वो कोरोना को हराकर अपने घर वापस लौट आये है। इस दौरान उन्होंने कैसे हिम्मत ना हारते हुए लड़ाई जारी रखी और कोरोना संक्रमित रहते हुए क्या क्या किया, अभिनव गोयल ने किया इस लेख में वो साझा कर रहे है अपनी बात ।
आदरणीय दोस्तो!
जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि आज सारे विश्व में कोविड-१९ कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है और हम सब इस बीमारी से डरे हुए हैं। इस बीमारी के चलते भारत सहित सभी देश इसकी दवाई के लिए खोज में लगे हुए हैं। अतः सभी देशों द्वारा कभी जानवरों पर, पक्षियों पर तथा मनुष्यों पर तरह-तरह के परीक्षण किये जा रहे हैं।
दोस्तो! मैं इसलिए अपने बारे में बताना चाहता हूँ कि मेरे मन में भी एक विचार आया कि मैं इस बीमारी से लड़ने के लिए कुछ करूँ। मैंने अपने विभाग ( बिजली विभाग) मुजफ्फरनगर में दिनांक 4 जुलाई 2020 को एक उच्च स्तरीय कोरोना जाँच कैम्प जिला चिकित्सालय की मदद से आयोजित करवाया। जिसमें मेरे परिवार के पाँच सदस्यों (मेरी माताजी, धर्मपत्नी, पुत्री, पुत्र और मैं स्वयं) सहित 67 व्यक्तियों की कोरोना जाँच करवायी गई। इसकी रिपोर्ट दिनांक 06 जुलाई 2020 को प्राप्त हुई, जिसके अनुसार नौ व्यक्ति कोरोना पाॅजिटिव पाये गये। इसी प्रकार दिनांक 06 जुलाई 2020 को ही मेरे कार्यालय में पुनः ऐसा ही कैम्प लगाया गया, जिसमें 117 व्यक्तियों की जाँच के लिए सैम्पल लिये गये। दिनांक 06.07.2020 को जिन व्यक्तियों की जांच की गई थी उनमें से एक परिवार जो मेरे किसी परिचित के द्वारा भेजा गया था उनकी भी रिपोर्ट आनी थी। जिला चिकित्सालय द्वारा कुल 12 व्यक्तियों को संदिग्ध बताया गया था। इस परिवार में पति-पत्नी, एक बुजुर्ग महिला एवं चार साल की एक बच्ची भी शामिल थी। मेरे द्वारा सभी 12 व्यक्तियों से दूरभाष पर सम्पर्क कर उन्हें हिम्मत दी गयी लेकिन ईश्वर की कृपा से एक व्यक्ति ही कोरोना पाॅजिटिव आया।
इसी बीच जब इन कैम्पों के आयोजन का प्रचार-प्रसार व्हाट्स-एप पर चल रहा था, तब एक विभागीय महिला सहयोगी द्वारा जानकारी में लाया गया कि वह भी कोरोना से संक्रमित हो गई थी। उसने दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में इलाज करवाया है। उसने उपचार तथा इस्तेमाल की गई दवाओं की जानकारी अन्य सबकी जानकारी में लाने के बारे में मुझसे कहा। जिसके अनुसार मैंने इस उपचार तथा दवाईयों की जानकारी अपने सभी ग्रुपों सहित कम से कम 2500 व्यक्तियों को मैसेज द्वारा अग्रसारित की। मुझे ऐसा लगा कि यह मैसेज देना मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरे साथी जो दिनांक 4 जुलाई की जांच में पाॅजिटिव पाये गये हैं, उन्हें इस बात की सूचना किस प्रकार दूँ। फिर भी मैंने हिम्मत करके सभी को बताया, एक जगह एकत्रित किया तथा जिला चिकित्सालय की शाखा मुजफ्फरनगर मेडिकल काॅलेज बेगराजपुर में पहुँचा दिया। जब तक वे सभी वहाँ पहुँच नहीं गये, मैं वहीं पर कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़ा रहा और इनको मानसिक रूप से इससे लड़ने के लिए तैयार करता रहा।
दोस्तो! जैसा मैंने भी अनुभव किया है, इस बीमारी में सबसे जरूरी चीज आत्मबल है। जो व्यक्ति इस बीमारी से डर गया या उसने उससे हार मान ली, वह और अधिक बीमार हो जायेगा।
इसी बीच कुछ मेरे ही साथियों ने मेरे द्वारा लगवाये गये कैम्पों के बारे में दुष्प्रचार एवं गलत टिप्पणियाँ करने का काम प्रारम्भ कर दिया। लेकिन मेरे द्वारा उन्हें सही स्थिति से अवगत कराया गया। विशेष बात यह रही कि मेरा विरोध करने वाले व्यक्तियों के मुकाबले मेरा समर्थन करने वाले साथियों-सहयोगियों और समर्थकों की संख्या कहीं अधिक रही। जिससे मैं इन कैम्पों का आयोजन सुचारू रूप से सम्पन्न कर सका।
आपकी जानकारी में लाना जरूरी है, कि दिनांक 6 जुलाई को जो कैम्प लगाया गया, उसमें भाग लेने वालों की जाँच रिेपोर्ट दिनांक 9 जुलाई 2020 को प्राप्त हुई। उसके अनुसार मात्र एक व्यक्ति ही पाॅजिटिव पाया गया। दिनांक 9 जुलाई 2020 को पुनः एक कैम्प का आयोजन किया गया जिसमें 116 व्यक्तियों की जाँच की गई। इनके साथ ही मेरे द्वारा भी अपनी जाँच करवायी गई। दिनांक 9 जुलाई को हुई 116 व्यक्तियों की जाँच के अनुसार 8 व्यक्तियों की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। इन आठ व्यक्तियों में मेरा भी नाम शामिल था।
यह स्थिति देखकर मैं तनिक भी विचलित नहीं हुआ बल्कि अपने ऐसे पाॅजिटिव 6 साथियों को लेकर मुजफ्फरनगर मेडिकल काॅलेज बेगराजपुर में भर्ती हो गया। इनमें से एक साथी अपने घर दिल्ली चले गये और उन्होंने अपने ही घर में अपने को क्वारंटाईन कर लिया। मेरे पाॅजिटिव पाये जाने की खबर चारों ओर फैल गई, जिसे सुनकर मेरे सगे-सम्बन्धी, सहयोगी, साथी, समर्थक और प्रशंसक, जो बहुत बड़ी संख्या में है, चिन्तित हो उठे। मेरे पास चारों ओर से कुशलता पूछने के लिए निरन्तर लोगों के फोन आने शुरू हो गये। यद्यपि यह एक अजीब सी उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी, फिर भी मुझे इससे बहुत तसल्ली हुई कि मेरे प्रति सद्भाव रखने वाले कितने सारे लोग हैं। दोस्तो, मेरे साथ विशेष चिन्ता की यह बात जुड़ी हुई थी कि मैं शुगर का मरीज हूँ और मैंने मोटापा कम करने वाली गाॅलब्लेडर की सर्जरी करवा रखी है। जब मैंने अपने चिकित्सकों को इस स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किसी और अधिक अच्छे अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी, जिसके अनुपालन में मैंने दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में शिफ्ट होना ही बेहतर समझा।
साथियों, इस बीमारी के चलते दिमाग सही तरीके से काम करना बन्द कर देता है। सहानुभूति रखने वाले साथियों के द्वारा अपनी-अपनी राय दी जाने लगती है। कुछ की बात मानने लायक होती है, कुछ की नहीं। मैंने दृढ़तापूर्वक इस अस्पताल में दाखिल होने का निर्णय किया।अपरान्ह में एम्बुलेन्स के माध्यम से मैक्स हाॅस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली में भर्ती हो गया। मै आपको यह भी अवगत कराना चाहता हूॅ कि मेरे पुत्र की भी दिनांक 13.07.2020 को तबीयत खराब हो गई, जिसके कारण उसे भी मैक्स होस्पिटल दिल्ली में भर्ती कराना पडा। जहाँ पर उसे दिनांक 14.07.2020 तक रखा गया और उसकी जांच कोरोना के लिए करायी गयी, जिसकी रिपोर्ट भी दिनांक 15.07.2020 को निगेटिव आने के उपरान्त छुट्टी दे दी। यह 26 घंटे मेरी जो स्थिति रही उसे मै या मेरे प्रभु ही सही तरीके से समझ सकते है, क्योकि ना तो उसके पास कोई था और न ही मै उसके पास जा सकता था वह अकेले ही भर्ती होने का कार्य कर रहा था।
इसी बीच मेरे एक और परिचित का फोन मेरे पास आया और उन्होंने मुझे बताया कि उनके पिता जी की आयु 86 वर्ष है, उन्हें भी कोरोना हो गया है। मैंने उन्हें हिम्मत देकर सुझाव दिया, कि वह अपने पिता जी को मैक्स हाॅस्पिटल में भर्ती करा दें। उन्होंने मेरी मदद से 18.07.2020 की रात्रि में 12 बजे उन्हें मैक्स हाॅस्पिटल, साकेत नई दिल्ली में भर्ती करा दिया। मेरे द्वारा उन्हें अपने ही रूम में भर्ती करा दिया गया। इस बहाने मैं एक 86 साल के बुजुर्ग की सेवा का अवसर प्राप्त कर सका।
मैक्स में चिकित्सकों द्वारा दिनांक 19.07.2020 को प्रातः 4 बजे मेरी पुनः कोरोना के लिए जाँच करायी मैंने भी मन बना लिया था, कि अब मैं जल्दी घर पहुँच जाऊँगा, लेकिन शाम को जब रिपोर्ट आयी तो पाॅजिटिव थी, जिससे मैं बहुत हताश हुआ। मैंने अपनी छोटी बहन से चण्डीगढ बात की, वह भी मेरी तरह बहुत ही हिम्मत वाली है, उसके द्वारा मुझे इतनी हिम्मत एवं ताकत फोन पर ही दी, जिससे मैं दोबारा इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हो गया।
दोस्तो! यह महामारी है जो दुनिया भर में फैली है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर मैंने कुछ सीख ली है जिसे मैं निम्नानुसार आपके साथ साझा करना चाहता हूँ:-
1. सबसे पहले अपने भीतर इतना आत्मविश्वास भर लें और दृढ़तापूर्वक निश्ंिचत हो जाए कि हमें इस बीमारी को अपने शरीर से भगाना है।
2. नियमित रूप से व्यायाम करें।
3. काढ़े का तीन समय सेवन करें।
4. यदि आपके शरीर में कमजोरी नहीं है, तो अपने सारे काम स्वयं करें। अपने को व्यस्त रखें, क्योंकि इससे आपका दिमाग बीमारी पर न जाकर अन्य कार्यों में लगा रहेगा और आपके कार्य भी ठीक प्रकार निपटते रहेंगे।
5. अपने मन में केवल सकारात्मक विचार लायें। नकारात्मक विचार अपने मन में किसी भी हालत में न आने दें।
6. यदि आप स्वस्थ हैं, तो दूसरों की मदद करते रहें।
7. अपने डाॅक्टरों की सलाह मानें। स्वयं डाॅक्टर न बनें।
8. गरम पानी आप दिन में चार-पाँच बार अवश्य लें।
9. बीटाडीन एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर चार-पाँच बार दिन में गरारे करें।
10. किसी भी अस्पताल में किसी कर्मचारी या डाॅक्टर के साथ गलत व्यवहार न करें। धरती पर ये सब ही भगवान के समान हैं।
11. दिनभर में लगभग चार से पांच किलोमीटर तक टहलने yaa घूमने का कार्य करें अथवा एक घंटा व्यायाम अवश्य करें।
12. अपना स्वास्थ्य एवं चिकित्सा बीमा अवश्य करायें। यह बहुत ही लाभकारी है तथा बुरे वक्त पर काम आता है।
13. फल एवं हरी सब्जी का सेवन अधिक से अधिक करें।
14. किसी भी स्थिति में घबराइये मत। हड़बड़ाहट न दिखायें। डरने से यह बीमारी और अधिक बढ़ती है। इसका डटकर मुकाबला करें, अपने माता-पिता, बुजुर्गों, बच्चों तथा मित्रों-सम्बन्धियों का ध्यान रखते हुए इस बीमारी से लड़ें।
15. अपने रोगी को यदि आप सरकारी अस्पताल से किसी प्राईवेट अस्पताल में ले जाना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम गूगल पर उस संस्था/अस्पताल की मेल आई.डी. प्राप्त कर लें और इस आशय से मेल करें कि मैं अपने मरीज को अपने खर्चे पर भर्ती करवाना चाहता हूँ, इसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारी को सहमति पत्र भेजकर मुझे भी सूचित करें। जब उस अस्पताल से मेल प्राप्त हो जाए तो मुख्य चिकित्साधिकारी से जिस जगह मरीज भर्ती है, उसे वहाँ से डिस्चार्ज करने के लिए प्रार्थना स्वीकृत करवा लें।
फिर उसे उस स्थान से डिस्चार्ज करवा कर निजी वाहन अथवा एम्बुलेंस द्वारा ले जाकर उस अस्पताल में भर्ती करवा दें जिसमें आप रोगी का इलाज करवाना चाहते हैं।
यदि कोई दिक्कत आती है तो तत्सम्बन्धित सी0एम0ओ0, डी0एम0, एस0डी0एम0, सिटी मजिस्ट्रेट आदि से अनुरोध करें और अपना उद्देश्य हासिल करें।
अन्त में, मैं अपने सभी साथियों, सहानुभूतिकर्ताओं, सम्बन्धियों, डाॅक्टर एवं अस्पताल के सभी स्टाफ को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस विषम परिस्थिति में मेरा साथ दिया है और जिनके आत्मिक भाव और सहयोग के कारण मैं इस बीमारी से लड़कर अपने घर सही सलामत चला जाऊँगा। मैं सभी का जीवनभर आभारी रहूँगा।
आपका अपना
अभिनव गोयल (मोन्टू)
बिजली विभाग, मुजफ्फरनगर
(9837194689, 9897669258)