श्री रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वाले मौर्य को कोर्ट की लताड़
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व भगवाधारी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को नसीहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी धार्मिक ग्रंथ अथवा अभिलेख के कथन को सही परिप्रेक्ष्य में पढ़ा और रखा जाना चाहिए। कहीं से भी लिये गए किसी अंश को बगैर सुसंगत तथ्यों के रखने को सत्य नहीं कहा जा सकता है।
मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाने के मामले में आरोपी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व भगवाधारी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को भारी नसीहत दी है।
एकल पीठ के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने मौर्य की याचिका खारिज करने वाले फैसले में कहा है कि किसी भी ग्रंथ अथवा अभिलेख के कथन को सही परिप्रेक्ष्य में पढ़ते हुए रखा जाना चाहिए। कहीं से लिए गए किसी अंश को बगैर सुसंगत तथ्यों के रखने को सत्य नहीं कहा जा सकता है। कुछ हालात में यह सत्य कथन भी हो सकता है।
उन्होंने कहा है कि कानूनी अथवा न्यायिक निर्णय का कोई अंश बिना उसके संगत प्रावधानों के प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। इसी तरह जब श्रीरामचरितमानस की कोई चौपाई उदघृत की जाए तो यह ध्यान में रखा जाना जरूरी है कि किस पात्र ने किस स्थिति के चलते किससे क्या कहा है।
खुद को समय-समय पर सनातन विरोधी साबित करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी याचिका में प्रतापगढ़ कोतवाली सिटी में दर्ज मामले में दाखिल किए गए आरोप पत्र एवं निचली अदालत द्वारा इस पर लिए गए संज्ञान को चुनौती दी थी। अदालत ने इस याचिका को बीती 31 अक्टूबर को खारिज कर दिया था। इसका फैसला आज जारी किया गया है।