रेलवे की जमीन पर खडी बिल्डिंगों पर बुलडोजर की बन रही राह-दिये नोटिस

गाजियाबाद। रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों द्वारा आरपीएफ के साथ रेलवे की जमीन पर मकान बनाए बैठे लोगों के घरों के बाहर नोटिस चस्पा किए जाने से लोगों में बुरी तरह से हड़कंप मच गया है। 2 अप्रैल तक सभी को अपना पक्ष रखने का मौका देते हुए विभाग की ओर से नोटिस चस्पा कर जवाब मांगा गया है।
महानगर के केला भट्टा इलाके में रेलवे की जमीन पर बने तकरीबन 150 मकानों पर रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की ओर से आरपीएफ की मदद से नोटिस चस्पा किए गए हैं। यह मकान रेलवे की जमीन पर सालों पहले से बने हुए हैं और पहले भी कई बार रेलवे द्वारा इन मकानों को खाली कराने की कोशिश की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि वर्ष 1943 में रेलवे की ओर से केला भट्टा इलाके में संचालित ट्रैक को बंद कर दिया गया था। कुछ दिनों तक इस ट्रैक पर शंटिंग का काम चलता रहा लेकिन आगे चलकर वह भी बंद कर दिया गया।
रेलवे की जमीन पर काफी दिनों तक जब कोई गतिविधि नहीं हुई तो खाली पड़ी जमीन पर माफियाओं की मदद से लोगों ने मकान, दुकान और गोदाम बना कर खड़े कर लिए। इतना ही नहीं कई लोग रेलवे की जमीन पर बने मकानों की फर्जी रजिस्ट्री कराकर उन्हें बेचते हुए यहां से चलते बने।
मिल रही जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011 के दौरान भी रेलवे की ओर से अपनी इस जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए अभियान चलाने की घोषणा की गई थी।लेकिन लोगों के भारी विरोध की वजह से रेलवे इस अभियान को शुरू नहीं कर पाया था। अब रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने आरपीएफ के साथ मकानों पर नोटिस चस्पा किए हैं।
मकानों पर चस्पा किए गए नोटिस सहायक मंडल अभियंता की ओर से जारी करते हुए 2 अप्रैल तक सभी लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। नोटिस के मुताबिक इस जमीन पर लोगों ने 40 साल से कब्जा कर रखा है। नोटिस चस्पा करने के दौरान नागरिकों द्वारा विरोध किया गया तो अधिकारियों ने उनके सामने नक्शा दिखाया।
स्थानीय पार्षद जाकिर सैफी का कहना है कि रेलवे को अब अचानक इन मकानों की याद आई है। रेलवे अधिकारियों को मिल बैठकर इसका रास्ता निकालना चाहिए।