टूटी परंपराएं-अंत्येष्टि करने वाला बेटा वोट डालने पहुंचा- बना नजीर
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव के पांचवें चरण के मतदान में जहां बहुत से लोग सब कुछ ठीक-ठाक होने के बाद भी छुट्टी के बावजूद वोट डालने के लिए अपने घर से नहीं निकले हैं। वहीं अनेक मतदाता प्रदेश के विकास को गति देने के लिए सामाजिक व धार्मिक परंपराओं को तोड़ते हुए अपने पोलिंग बूथ पर वोट डालने के लिए पहुंचे और लोकतंत्र की सुदृढ़ता के लिए महायज्ञ में अपने वोट की आहुति प्रदान की है।
लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में एक-एक वोट कीमती है। ऐसे में ज्यादातर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने वोट की अहमियत समझ रहे हैं। लेकिन अनेक लोग ऐसे भी हैं जो सब कुछ ठीक-ठाक होने के बावजूद भी अपने घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक पहुंचते हुए वोट डालने से बच रहे हैं। रविवार को हो रहे मतदान में सिराथू विधानसभा के रामपुर धामावा गांव में धनंजय सिंह जो दिन में एक हाथ में चाकू और दूसरे में लौटा थामकर बूथ पर पहुंचे और अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद उन्होंने जो बताया उसे सुनकर लोग अचंभे में रह गए। पता चला कि 5 दिन पहले 22 फरवरी को मृत्यु से पहले उनकी मां फूल कुमारी ने 18 तारीख को ही बैलेट पेपर के जरिए मतदान किया था। उस समय उनकी मां ने कहा था कि बेटा वोट देना सबसे जरूरी है। हम सरकार बनाते हैं। वोट देने के बाद वह इस दुनिया को छोड़कर चली गई। इसी तरह प्रतापगढ़ के रानीगंज सीट के स्वामी करपात्री जी इंटर कॉलेज स्थित पोलिंग बूथ पर शमशेर सिंह हाथ में चाकू एवं लोटा लेकर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते उनके भाई का निधन हो गया था। अंत्येष्टि के दौरान दाग लगाने की प्रक्रिया उन्होंने ही की थी। सामाजिक और धार्मिक परंपरा के तहत घर से निकलने पर मनाही थी। लेकिन मताधिकार करना भी जरूरी था, इसलिए वह हाथ में लोटा एवं चाकू लेकर अपने घर से निकल पड़े और पोलिंग बूथ पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसी तरह कई अन्य स्थानों पर भी इसी मामले इसी तरह के मामले देखने एवं सुनने को मिले हैं।