बोले राजभर- पूर्व आईपीएस आए हमारे साथ- भेजेंगे विधानसभा
वाराणसी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी को अपनी पार्टी में आने का ऑफर देते हुए कहा है कि अगर वह हमारे साथ आते हैं तो वर्ष 2022 में चुनाव लड़ाकर उन्हें प्रदेश विधानसभा में भेज देंगे।
शनिवार को रोहनिया में आयोजित किए गए अति पिछड़ा-अति दलित महासम्मेलन में भाग लेने से पहले सर्किट हाउस में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को खुला आमंत्रण है कि वह हमारी पार्टी में आए। अगर पूर्व आईपीएस हमारे साथ आते हैं तो वर्ष 2022 में होने वाले चुनाव को लड़ाकर हम उन्हें विधानसभा में भेज देंगे। ओपी राजभर ने इस दौरान प्रदेश सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि 3 दिन के भीतर राज्य विधानसभा का सत्र खत्म कर देना सरकार की नाकामी की निशानी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार महंगाई को लेकर चर्चा नहीं कराना चाहती है। क्योंकि जनता में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा मचा हुआ है। सरकार की कोशिश है कि वह कोरोना पर भी चर्चा ना कराएं। मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि इस तरह की कवायद से भाजपा को जनता का वोट नहीं मिलेगा। सुभाशपा अध्यक्ष ने कहा है कि आगामी 27 अक्टूबर को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर गठबंधन को लेकर वह महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे। सुभाशपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि प्रदेश भर में भागीदारी संकल्प मोर्चा की सरकार आएगी तो 5 साल तक घरेलू बिजली का बिल माफ किया जाएगा। पूरे प्रदेश में हम शराबबंदी लागू करेंगे। अफगानिस्तान संकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम भारत और भारतीयों के शुभचिंतक हैं। हम अपने घर को संभाल नहीं पा रहे हैं तो दूसरों के घर की तरफ झांककर क्यों देखें। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में फंसे भारत के लोगों को संकट से बाहर निकालना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर उन्होंने कहा है कि घर-घर महिलाओं को शिक्षित किया जाए। इससे अपने आप जनसंख्या नियंत्रण होने लगेगा। इसके लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं है।