जन्मदिन विशेष- आईएएस संजय आर भुसरेड्डी - जहां पोस्टिंग - वहां की बदली सूरतेहाल
लखनऊ । वर्ष 1979 में नागपुर के सेंट जॉन्स स्कूल से हाई स्कूल पास कर ऊंचाइयां छूने के सपने पालने वाले संजय आर. भुसरेड्डी ठीक एक दशक बाद देश की टॉप जॉब सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण कर 1989 बैच के आईएएस अफसर बन गए। उत्तर प्रदेश कैडर पाने के बाद संजय भूसरेड्डी ने मथुरा के असिस्टेंट मजिस्ट्रेट से नौकरी की शुरुआत करने के बाद आज प्रमुख सचिव गन्ना एवं आबकारी के दायित्व को बखूबी संभाल रहे हैं। 3 साल में गन्ना विभाग की कायाकल्प करने वाले संजय आर. भुसरेड्डी के ज़िम्मे इस समय आबकारी विभाग भी है। 14 जून 1963 को नागपुर (महाराष्ट्र) में जन्मे आईएएस अफसर संजय आर. भुसरेड्डी ने प्रारंभिक शिक्षा नागपुर से की थी। उन्होंने नागपुर से ही एमकॉम करने के साथ-साथ कानून की डिग्री हासिल करने के बाद सिविल सर्विसज का इम्तिहान दिया था। इंग्लिश, तेलुगू , हिंदी एवं मराठा भाषा के जानकार संजय आर भुसरेड्डी अपने 31 साल के सिविल सर्विस जीवन में अपनी कार्यशैली के बल पर विशेष पहचान बनाए हुए हैं। जन्मदिन से 4 दिन पहले 10 जून को शासन ने प्रमुख सचिव से अपर मुख्य सचिव के पद पर प्रमोशन कर उन्हें जन्मदिन का तोहफा दिया है।
उनकेे जन्मदिन पर खोजी न्यूज़ की स्पेशल स्टोरी।
19 मार्च 2017 को जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार वजूद में आई तो 7 साल से प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार में काम कर रहे 1989 बैच के आईएएस अफसर संजय आर. भुसरेड्डी को उत्तर प्रदेश में वापस भेजा गया और उन्हें उत्तर प्रदेश के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण गन्ना एवं चीनी मिल विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया। गन्ना विभाग पर हर सरकार में गन्ना भुगतान एवं गन्ना खरीद को लेकर सवाल उठते रहे, मगर 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले थाना भवन से दूसरी बार विधायक सुरेश राणा को मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। 19 मार्च को सरकार बनी तो 29 जून 2017 को संजय आर. भुसरेड्डी को गन्ना एंव चीनी मिलें विभाग का प्रमुख सचिव को बनाया गया।
अमिताभ बच्चन की आनंद, सिलसिला, बागबां, डॉन जैसी फिल्में पसंद करने वाले आईएएस अफसरसंजय आर. भुसरेड्डी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मंत्री सुरेश राणा के निर्देशन में 3 साल के कार्यकाल में गन्ना विभाग को दुरुस्त करने में अहम भूमिका निभाई। इन 3 साल में गन्ना विभाग ने लगातार रिकॉर्ड बनाएं। 2017 - 18 में स्थिति बेहतर की तो 2018 - 19 में गन्ना भुगतान एवं पराई को संभालने का मौका मिला तो 2019- 20 में गन्ना विभाग ने पर्ची वितरण, पराई एवं गन्ना भुगतान में रिकॉर्ड ही बना डाला। गन्ना विभाग की कायाकल्प करने में अपना अहम योगदान रखने वाले प्रमुख सचिव संजय आर. भुसरेड्डी को ठीक 2 साल बाद 27 जून 2019 को प्रमुख सचिव गन्ना के साथ-साथ प्रमुख सचिव आबकारी की भी जिम्मेदारी दी गई। संजय आर. भुसरेड्डी को जब आबकारी विभाग दिया गया उस समय प्रदेश के कई जनपदों में जहरीली शराब के कारण कई मौतें हो चुकी थी। शासन जहरीली शराब के कारण से चिंतित था, ऐसे में सरकार ने संजय आर. भुसरेड्डी पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रमुख सचिव आबकारी बनाया गया। प्रमुख सचिव आबकारी बनने के बाद संजय आर. भुसरेड्डी ने यहां भी बेहतर काम किया। उन्होंने आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ शराब माफियाओं पर सख्ती के साथ अंकुश लगाया। उन्हीं के कार्यकाल में जब कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगाया गया तब उत्तर प्रदेश की बंद पड़ी डिस्टलरियों को शुरू करा कर उनमें सैनिटाइजर बनाने का काम शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग ने रिकॉर्ड मात्रा में सैनिटाइजर का उत्पादन कर देश के सभी सूबों में उसकी बिक्री कर भी एक रिकॉर्ड कायम किया है।
क्रिकेटर कपिल देव के फैन आईएएस अफसर संजय आर. भुसरेड्डी ने मथुरा में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में नौकरी की शुरुआत की। उसके बाद 2 महीने के लिए वह अपनी दूसरी ट्रेनिंग के लिए आईएएस एकेडमी मसूरी (उत्तराखंड) चले गए। ट्रेनिंग से जब संजय आर. भुसरेड्डी वापस लौटे तो उन्हें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट झांसी बनाया गया। उसके बाद 4 दिन इटावा में पोस्टिंग तो तुरंत बाद उन्हें सीडीओ आगरा बनाया गया। लगभग 2 साल तक ताज नगरी आगरा के मुख्य विकास अधिकारी के रूप में काम कर कर चुके संजय आर. भुसरेड्डी को उसके बाद मुख्य विकास अधिकारी फैजाबाद (अयोध्या ) बनाया गया।
एक साल से अधिक फैजाबाद के सीडीओ के रूप में तैनाती के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव का स्टाफ अफसर बनाया गया।
11 महीने तक मुख्य सचिव के स्टाफ अफसर रहने के बाद संजय आर. भुसरेड्डी को अल्मोड़ा उत्तराखंड का कलेक्टर बनाकर भेजा तो 8 महीने बाद 11 अप्रैल 1998 को उन्हें बलरामपुर का डीएम बना दिया गया।
2 जिलों के कलेक्टर के रूप में काम कर चुके संजय आर. भुसरेड्डी को 11 अगस्त 1998 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का विशेष सचिव बनाया गया। उनकी बेहतर कार्यशैली को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने उन्हें विशेष सचिव के साथ-साथ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक की जिम्मेदारी देते हुए सरकार के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी थी। सूचना निदेशक के 7 माह के कार्यकाल के बाद उन्हें उन्नाव का जिला मजिस्ट्रेट बनाया गया। 3 महीने बाद उन्हें बुलाकर शासन में आवास विभाग का विशेष सचिव तो जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह बने तो उन्हें फिर से विशेष मुख्यमंत्री बना दिया गया। 1 साल तक पंचम तल पर काम करने के बाद उन्हें पहले विशेष सचिव आवास तो 15 दिन के इस छोटे से कार्यकाल के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश शासन ने बरेली के जिला अधिकारी का दायित्व दिया गया।
डीएम बरेली के बाद उन्हें फिर से विशेष सचिव आवास बनाया गया। वर्ष 2005 में जब उनका प्रमोशन सचिव कैडर में हो गया तो शासन ने उन्हें विशेष सचिव आवास के बाद आवास विभाग का सचिव बना दिया। आवास विभाग के सचिव की पोस्टिंग के बाद संजय आर. भुसरेड्डी को सचिव अतिरिक्त ऊर्जा के साथ-साथ नेडा के निदेशक बनाया गया था।
2 साल इस पोस्ट पर काम करने के बाद संजय आर. भुसरेड्डी को उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम का प्रबंध निदेशक तो बाद में राजस्व परिषद लखनऊ में 3 साल तक सदस्य न्यायिक के रूप में तैनात रखा फिर उन्हें इसी पद पर इलाहाबाद भेज दिया गया।
मायावती सरकार में किनारे रखे गए आईएएस अफसर संजय आर. भुसरेड्डी वर्ष 2011 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। भारत सरकार ने उन्हें पशुधन, डेयरी एवं मत्स्य विभाग का संयुक्त सचिव बनाया गया। 5 साल तक इस पद पर काम करने के बाद वर्ष 2016 में उन्हें चीफ विजिलेंस ऑफिसर बनाया गया। उत्तर प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आई तो उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया और पहले प्रमुख सचिव गन्ना के साथ साथ आबकारी की ज़िम्मेदारी भी दी हुई है।