शुल्क वृद्धि पर रोक से बड़ी राहत: डॉ. दिनेश शर्मा

शुल्क वृद्धि पर रोक से बड़ी राहत: डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ। कोरोना महामारी ने शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से जर्जर कर दिया है। संक्रमित होने वालों को शारीरिक रूप से इतनी कमजोरी महसूस हो रही है मानो वे साल-छह महीने से बीमार पड़े थे। किसी का लिवर थोड़ा बहुत डैमेज हो गया है तो किसी की किडनी। इस बीमारी ने कुछ निकटतम लोगों को भी छीन लिया है। मौत किसी की भी हो, दुखद होती है। बुजुर्ग भी परिवार के लिए एक आशीर्वाद की तरह होते हैं। उम्र दराज होने के बाद भी उनका हमेशा के लिए विदा ले लेना साल रहा है लेकिन कुछ मौते तो ऐसी हुई हैं जो भुलाए नहीं भूलतीं। लगता ही नहीं कि वे इस दुनिया में नहीं हैं। अचानक सच्चाई से सामना होता है तो आंखें नम हो जाती है। इस महामारी ने आर्थिक रूप से भी लोगों को जर्जर कर दिया है। फल, सब्जी से लेकर राशन तक महंगा हो गया। खर्च में कहां कटौती करें, यह समझ में नहीं आता। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे तो घर पर ही आनलाइन पढ़ाई हो रही है। कोरोना गाइडलाइन के चलते पार्क में इकट्ठे खेल नहीं सकते तो उनके लिए इनडोर गेम की व्यवस्था करनी पड़ी है। स्कूल की फीस तो भरनी ही है। स्कूलों की भी मजबूरी कि शिक्षकों को वेतन देना है। वे वर्क फ्राम होम कर रहे हैं अथवा स्कूल में जाकर पढा रहे हैं तो उनको भी वेतन मिलना चाहिए। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा, जिनके पास माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व भी है, ने सभी का हित देखते हुए स्कूलों और विद्यालयों को लेकर निर्णय लिया है। प्रदेश में किसी भी बोर्ड के स्कूल को इस बार फीस बढाने का अधिकार नहीं होगा। कोरोना की चैतरफा मार से त्रस्त अभिभावकों को डा दिनेश शर्मा के इस फैसले से काफी राहत मिलेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के कारण उपजी समस्याओं को देखते हुए प्रदेश में संचालित सभी बोर्डों के सभी विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए शुल्क वृद्धि पर रोक लगा दी है। यह जानकारी उप मुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने गत 20 मई को दी। डाॅ. शर्मा ने कहा कि कोविड के चलते कई परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं। विद्यालय भौतिक रूप से बन्द हैं पर आनलाइन पठन पाठन कार्य जारी है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने एक ऐसा संतुलित निर्णय किया है जिससे कि आम जनमानस पर अतिरिक्त भार न पड़े साथ ही विद्यालय में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेतर कार्मिकों को नियमित वेतन देना भी सुनिश्चित किया जा सके। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से शुल्क ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी। अगर किसी स्कूल ने बढी हुई शुल्क संरचना के हिसाब से फीस ले ली है तो इस बढी हुई फीस को आगे के महीनों की फीस में समायोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि विद्यालय बन्द रहने की अवधि में परिवहन शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी छात्र अथवा अभिभावक को तीन माह का अग्रिम शुल्क जमा करने में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो उनके अनुरोध पर उनसे मासिक शुल्क ही लिया जाए। इस स्थिति में उन्हें तीन माह का अग्रिम शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि जब तक विद्यालयों में भौतिक रूप से परीक्षा नहीं हो रही है तब तक परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। इसी प्रकार से जब तक क्रीड़ा, विज्ञान प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर, वार्षिक फंक्शन जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं, तब तक उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में पूरी संवेदनशीलता के साथ यह निर्णय भी किया है कि अगर कोई छात्र अथवा छात्रा अथवा उनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है और उन्हे फीस देने में परेशानी हो रही है तो सम्बन्धित छात्र अथवा छात्रा के लिखित अनुरोध पर उस माह का शुल्क अग्रिम महीनों में मासिक किश्त के रूप में समायोजित किया जाएगा।

उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने बताया कि इस बात के निर्देश भी दिए गए हैं कि विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेतर कार्मिकों का वेतन नियमित रूप से दिया जाए। इस आशय का शासनादेश जारी कर दिया गया है। इन आदेशों का कडाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी विद्यालय द्वारा इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो अभिभावक द्वारा जिले में गठित शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत की जा सकेगी। जिला विद्यालय निरीक्षक को इन नियमों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी दी गई है।

पिछले साल अर्थात 2020 में जब उत्तर प्रदेश में युद्ध स्तर पर लॉकडाउन को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में अन्य गतिविधियों को भी गतिमान रखना चाहती थी, तब उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने माध्यमिक और उच्च शिक्षा को लॉकडाउन के दौरान भी गतिशील रखा था। उच्च शिक्षा को लेकर पहले ही आनलाइन अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था की जा चुकी थी, डाॅ. दिनेश शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा के पठन पाठन की भी 20 अप्रैल से व्यवस्था कर दी थी। डॉ. दिनेश शर्मा ने 16 अप्रैल 2020 को योजना भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों एवं समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए 20 अप्रैल से समस्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रातः 8 बजे से अपराह्न 2 बजे तक आनलाइन माध्यम से पठन पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। उपमुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने 15 अप्रैल को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर ऑनलाइन शिक्षा की रणनीति को अंतिम रूप दिया था। उसी दौरान डॉ. दिनेश शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा था कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों द्वारा आनलाइन ई-कन्टेन्ट तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड किए जाएं तथा छात्रों को इसका प्रयोग करने हेतु निरन्तर प्रेरित किया जाये।

विद्यार्थियों के अवशेष पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन पूरा कराते हुए नियमित अन्तराल पर ऑनलाइन टेस्ट कराने तथा छात्रों की जिज्ञासा के समाधान हेतु कार्यवाही भी की गयी थी। डा शर्मा ने अपने कार्यालय कक्ष में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा था कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा 15 अप्रैल 2020 तक 31,939 ई-कन्टेन्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए है जिन्हें 2,29,384 विद्यार्थियों द्वारा वेबसाइट पर एक्सेस किया गया है तथा 75,921 ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया गया। इसमें प्रतिदिन औसतन 80,328 विद्यार्थियां द्वारा प्रतिभाग किया गया। विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों एवं शिक्षकों द्वारा 1683 ऑनलाइन बैठकें की गई तथा विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों ने विभिन्न प्रकार की 44 ऑनलाइन ट्रेनिंग आयोजित की थीं। इस तरह डा.दिनेश शर्मा ने पदभार संभालने के साथ ही महाविद्यालयों और विश्व- विद्यालयों का सत्र नियमित करने के साथ समय से परीक्षा कराने में सफलता प्राप्त कर ली थी। नकल विहीन परीक्षायें सम्पन्न कराने का रिकार्ड भी उन्होंने बनाया है। कोरोना महामारी ने व्यवधान डाला लेकिन डा दिनेश शर्मा ने शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया है। अब विद्यालयों के शुल्क वृद्धि पर रोक लगाकर और शिक्षकों व शिक्षणेतरकर्मियों के वेतन भुगतान को सुनिश्चित करके बेहतर फैसला किया है। (हिफी)

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