अयोध्या- रामयुगीन से रामानुजाचार्य तक

अयोध्या- रामयुगीन से रामानुजाचार्य तक

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अयोध्या को सबसे प्रिय स्थल बताया था। काग भुशुण्डि ने भी अपने पूर्व जन्म की कथा सुनाते हुए गरुड़ जी से कहा था कि अयोध्या में जन्म लेने से ही बहुत पुण्य मिल जाते हैं। अयोध्या का महात्म्य उचित माध्यम मिलते ही प्रस्फुटित हो जाता है। इस बार माध्यम बने हैं योगी आदित्यनाथ। इसमें कोई संदेह नहीं कि वर्षों तक अयोध्या राजनीति का शिकार रही लेकिन अब इसका पुराना गौरव वापस मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि पर विवाद का फैसला सुना दिया और वहां केन्द्र सरकार के बनाये गये ट्रस्ट ने दिव्य-भव्य मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया है। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को भारत ही नहीं विश्व की श्रद्धा का केन्द्र बना दिया है। भगवान राम की लंका विजय के बाद अयोध्या वापसी को त्रेतायुगीन बनाने का प्रयास दीपावली पर किया जाता है। इस बार और ज्यादा भव्य रूप से सरयू का तट लाखों दीपों से जगमगाएगा। इस बीच अयोध्या मंे राम भक्तों का स्मारक भी बनाया जाने लगा है। कुछ दिन पहले ही रामजी के भजन गाने वाली भारत कोकिला लता मंगेशकर की स्मृति में अयोध्या के चौक में विशाल वीणा लगायी गयी। अब योगी आदित्यनाथ ने गोला घाट स्थित अम्मा जी मंदिर में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करके राम से रामानुजाचार्य तक के इतिहास को जीवंत कर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों (12 अक्टूबर) गोलाघाट स्थित अम्मा जी मंदिर में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की 4 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि 120 वर्षों बाद रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा का अनावरण हुआ है। जगद्गुरु रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा, 'हम जानते हैं कि भारत दुनिया के अंदर ज्ञान की भूमि है, यहां वेदों की परंपरा का साक्षात दर्शन होता है, वेदों की परंपरा और मंत्र ऋषियों ने उद्घाटित किए। यह भारत की परंपरा है। ये गौरव की बात है कि संतों-ऋषियों का सानिध्य भारत को प्राप्त हुआ।' मुख्यमंत्री ने कहा कि 'अद्वैत हो या द्वैत ये मंजिल पर पहुंचने के अलग-अलग मार्ग हैं हमारे संतों ने हमें वो रास्ता दिखाया जिस पर हमें चलना है। भारतीय ऋषियों ने हमेशा यही कहा, महाजनों गतः स पंथा, यही भारत की विराटता है, इसलिए कहा गया एकम सत्य विप्रा बहुदा वदन्ति। सालों पहले स्वामी रामानुजाचार्य जी ने आक्रांताओं से बचने के लिए एक द्वैत मार्ग दिखाया, उससे पहले शंकराचार्य जी ने भी हमें अद्वैत मार्ग दिखाया था।' सीएम योगी ने कहा, 'आज भारत अपने संतों की उन शिक्षाओं पर गर्व करता है, कल हम सबने उज्जैन में महाकाल के भव्य रूप का दर्शन किया, इससे पहले हमने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देखा, उससे पहले बाबा केदारनाथ के पुनरुद्धार को देखा और उससे पहले हमने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शिलान्यास को देखा, यही नया भारत है। हमें इस पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। स्वामी रामानुजाचार्य जी इस धराधाम पर अवतरित हुए थे, भगवान राम मंदिर के पहले उनकी प्रतिमा का अनावरण हो रहा है, यह गर्व का विषय है।' सीएम योगी आदित्यनाथ 19 दिनों के अंदर तीसरी बार अयोध्या आए हुए हैं। 23 सितंबर को सीएम हवाई सर्वेक्षण और दीपोत्सव तैयारी के दौरान यहां आए थे। दूसरी बार 12 अक्टूबर को लता मंगेशकर की स्मृति में बने चौक और वीणा का लोकार्पण करने आए थे।

धर्मस्थलों की गरिमा वापसी के तहत ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काशी प्रवास ने एक रिकॉर्ड स्थापित कर दिया। वह काशी की शतकीय यात्रा पूरी करने वाले प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने यह यात्रा अपने दोनों कार्यकाल को मिलाकर की है। इस दौरान सीएम ने 89 बार बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2017 में शपथ लेने के बाद 26 मई को काशी का पहला दौरा किया था। वह औसतन महीने में एक बार, कभी-कभी दो बार काशी की यात्रा जरूर करते हैं। योगी प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ धाम के नव्य व भव्य स्वरूप के निर्माण की पहली से आखिरी ईंट तक के गवाह रहे हैं। उन्होंने अपने दौरों को विकास और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि प्रायः हर बार स्थलीय निरीक्षण पर भी निकले। इसी क्रम में रामनगरी अयोध्या में 23 अक्तूबर को होने वाले दीपोत्सव की तैयारी जोरों पर है। राम की पैड़ी व अन्य घाटों पर जलने वाले दीए इस बार अधिक समय तक जलेंगे, क्योंकि दीए की साइज बड़ा होने के साथ 40 एमएल तेल डाला जाएगा। दीपोत्सव-2022 में विभिन्न घाटों पर 14 लाख 50 हजार दीए जलाकर विश्व रिकार्ड बनाने की शासन की मंशा है। दीए जलाने के लिए डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी प्रो. अजय प्रताप सिंह टीम के साथ रात-दिन एक करके दीपोत्सव को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि राम की पैड़ी व अन्य घाटों पर दीपोत्सव में 20 हजार वालेंटियर्स अनुशासित रहकर 16 लाख दीए रखेंगे। उन्होंने बताया कि 20 अक्तूबर तक तक सभी घाटों पर दीए पहुंच जाएंगे। 21 अक्तूबर से दीए बिछाने कार्य शुरू होगा। 22 अक्तूबर को दीयों की गणना होगी और 23 अक्तूबर को दीए में तेल बाती लगाने तथा शाम को जलाया जाएगा।

वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानंद हुए थे जिनके शिष्य कबीर और सूरदास थे। रामानुज ने वेदांत दर्शन पर आधारित अपना नया दर्शन विशिष्ट द्वैत वेदान्त गढ़ा था। रामानुजाचार्य ने वेदांत के अलावा सातवीं-दसवीं शताब्दी के रहस्यवादी एवं भक्तिमार्गी सन्तों से भक्ति के दर्शन को तथा दक्षिण के पंचरात्र परम्परा को अपने विचार का आधार बनाया।

1017 ई. में रामानुज का जन्म दक्षिण भारत के पेरम्बदूर क्षेत्र में हुआ था। बचपन में उन्होंने कांची में वेदों की शिक्षा ली। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे तीन काम करने का संकल्प लिया था- ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना। उन्होंने गृहस्थ आश्रम त्यागकर श्रीरंगम के यदिराज संन्यासी से संन्यास की दीक्षा ली। मैसूर के श्रीरंगम से चलकर रामानुज शालग्राम नामक स्थान पर रहने लगे। रामानुज ने उस क्षेत्र में बारह वर्ष तक वैष्णव धर्म का प्रचार किया। फिर उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिए पूरे देश का भ्रमण किया। 1137 ई. में वे ब्रह्मलीन हो गए। रामनुजाचार्य के दर्शन में सत्ता या परमसत् के सम्बन्ध में तीन स्तर माने गए हैं- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्मा, तथा अचित अर्थात प्रकृति। वस्तुतः ये चित् अर्थात् आत्म तत्त्व तथा अचित् अर्थात् प्रकृति तत्त्व ब्रह्म या ईश्वर से पृथक नहीं है बल्कि ये विशिष्ट रूप से ब्रह्म का ही स्वरूप है एवं ब्रह्म या ईश्वर पर ही आधारित हैं यही रामनुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत का सिद्धान्त है। (हिफी)

Next Story
epmty
epmty
Top