मात्र 9 साल की उम्र में बालक ने सीखे चारों वेद, योगी ने किया सम्मानित

मात्र 9 साल की उम्र में बालक ने सीखे चारों वेद, योगी ने किया सम्मानित

लखनऊ प्राचीन भारत की चिकित्सा तकनीक और विज्ञान वेदों में समाहित है। वेदों का ज्ञान होना आज भी बहुत जरुरी है क्योंकि वेदों में संसार के अनेकों रहस्य छिपे हैं। जो हमारे जीवन को सुलभ कर सकते हैं। वेदों से ही हमें भारत का इतिहास और प्राचीनता भी जानने को मिलता है। संसार और जीवन का रहस्य भी वेदों में छुपा हुआ है। वैदिक पद्धति से ही प्राचीन भारत के लोग जीवन यापन किया करते थे। परन्तु अब कम ही लोग ऐसे है जो की वेदों का पूरा ज्ञान रखते हैं और संस्कृत भाषा में जिनको विद्या प्राप्त है। देश में अब वेदों और संस्कृत के विद्वानों की गिनी चुनी संख्या रह गई है।

जिस उम्र के बच्चे खेल-कूद और वीडियो गेम में ही अपना समय व्यतीत कर रहे है, उसी उम्र में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक छोटा बालक देववाणी में पांडित्य का ज्ञान प्राप्त कर वेदों का ज्ञाता बन गया है।

जब इस असाधारण और अध्भुत महाज्ञानी बच्चे की खबर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगी, तो उन्हें बहुत ही प्रसन्नता हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ, 9 साल के गाजीपुर के बाल विद्वान आशुतोष दुबे से मिलकर, उन्हें सम्मानित किया व उपहार स्वरूप अंग वस्त्र भी भेंट किए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से इस शुभ अवसर की तस्वीर भी साँझा की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल विद्वान आशुतोष दुबे से मिलकर उनकी प्रशंसा में कहा कि "इतने कम समय में ही संस्कृत भाषा में पाण्डित्य प्राप्त कर लेने वाले आशुतोष दुबे का संस्कृत ज्ञान सराहनीय, प्रेरक और अनुकरणीय है।" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल विद्वान आशुतोष दुबे को हर संभव मदद का भरोसा भी दिया है।

आपको बता दे की जिस संस्कृत विद्यालय से बाल विद्वान आशुतोष दुबे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उसी विद्यालय सिद्धपीठ हथियाराम मठ, गाजीपुर के महंत महामंडलेश्वर भवानी नंदन महाराज से भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें भेंट की और इस अवसर पर उन्हें प्रयागराज कुम्भ मेले-2019 से सम्बन्धित एक पुस्तक भी उपहार में दी। इस पुस्तक में कुम्भ-2019 मेले से सम्बन्धित अनेक जानकारी और रीती रिवाज़ पर विस्तृत उल्लेख है।

शिक्षा के क्षेत्र में अब केंद्र से भी यह खबर भी आ रही है की केंद्र सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। व देश में नई शिक्षा नीति को लेकर भी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज NCERT के लिए शिक्षण सत्र 2020-21 का कार्यक्रम भी जारी कर दिया है। इसमें भारतीय जीवन शैली को सम्मिलित कर छात्रों में देश की संस्कृति का ज्ञान बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसा किया जाएगा। पाठ्यक्रम के अंतर्गत जीवन कौशल, रचनात्मक सोच, संस्कृति, भारतीय संस्कार आदि को जोड़े जाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।

नए कोर्स में भारतीय मूल्यों व संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। विषयों के विशेषज्ञ स्कूल शिक्षा के लिए बदलाव वाला काम दिसंबर 2020 तक पूर्ण कर अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे देंगे। जिस नई शिक्षा नीति का इंतजार शिक्षाविद देश में कर रहे थे उस पर आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय नें आवश्यक कदम उठाए हैं। एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में रूपरेखा के अनुसार नए बदलाव होंगे। पाठ्यपुस्तकों में नए बदलाव के तहत यह तय किया जाएगा कि पाठ्यपुस्तकों में मुुख्य सामग्री के अलावा कुछ नहीं हो ताकि छात्रों में जबर्दस्ती का प्रेशर न पड़े। इसी कड़ी में स्कूल शिक्षा के लिए नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क की नीति को भी शुरू किया गया है। नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के आधार पर एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों के ले-आउट और डिजाइन तैयार करेगा। नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क मार्च 2021 तक पूर्ण होने की पूरी संभावना है। जिसका सीधा आश्रय है कि नई शिक्षा व्यवस्था किस तरह होगी उसकी एक रूपरेखा तैयार की जाएगी।

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