संतों की अपील: स्कूल और अस्पताल बनवाएं तो अयोध्या का संत समुदाय भी देगा सहयोग
लखनऊ । अयोध्या के गांव धन्नीपुर रौनाही में मिली जमीन को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है। बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारुकी ने बताया कि इस ट्रस्ट का नाम इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन रखा गया है। इस ट्रस्ट के अनुसार ही जमीन पर मस्जिद और आम लोगों के लिए अन्य सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। जिसे अयोध्या के संत गलत नहीं मानते हैं और कहते हैं कि जो जमीन उनको दी गई है उस पर चाहे जो बनाएं। वहीं राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है कि उनका जो मन करे वह बनवाएं, लेकिन बाबर के नाम पर मस्जिद का निर्माण नहीं हो सकता अगर होगा तो इसका पूरी ताकत से विरोध किया जाएगा।
इसके अलावा तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि बाबर के नाम पर मस्जिद पूरे देश में नहीं है और दान की भूमि पर मस्जिद नहीं बन सकती उस पर की गई इबादत कबूल नहीं होगी। इसलिए उन्होंने राय दी है कि वहां पर अस्पताल या विद्यालय खोलें और अगर ऐसा होता है तो उन्होंने सबसे पहले सवा लाख रुपए का अनुदान भी देने का ऐलान कर दिया है।
तपस्वी छावनी के संत परमहंस कहते हैं कि दान दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण न हो अगर जमीन पर मस्जिद का निर्माण होता है तो वहां नमाज इस्लामिक धर्म के अनुसार कुबूल ही नहीं होगी इसलिए ट्रस्ट को चाहिए कि वहां विद्यालय या हॉस्पिटल का निर्माण हो और अगर ऐसा होता है तो संत मिलकर सहयोग करेंगे और वह खुद अपनी ओर से सबसे पहले सवा लाख रुपए उसके लिए देने जाएंगे।
अयोध्या में राममंदिर का विवाद सालों तक कोर्ट में रहा और अब कोर्ट के निर्णय के बाद रामलला मंदिर की आधारशिला रखने के लिए स्वंय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या आयेंगे। जहां एक तरफ संत समाज प्रसन्न है तो वहीं वुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया है। जिसके बाद अब शीघ्र ही मस्जिद का निर्माण कार्य भी शुरू होगा। संतों की एक ही राय है कि बाबर के नाम पर मस्जिद पूरे देश में कबूल नहीं और इसके अलावा 5 एकड़ जमीन धनीपुर रौनाही में मुस्लिम समाज को दी गई वह चाहे जो भी निर्माण करें मस्जिद भी बनाए लेकिन बाबर के नाम पर नहीं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम साथी अगर स्कूल या अस्पताल बनवाते हैं तो उस पर अयोध्या का संत समुदाय भी सहयोग देगा।