बिजली निजीकरण के विरोध में आंदोलन का ऐलान

बिजली निजीकरण के विरोध में आंदोलन का ऐलान

मथुरा। केन्द्र एवं राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के खिलाफ पूरे देश के बिजली कर्मचारियों ने 26 नवम्बर को राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है।

कार्यक्रम के अनुसार देश भर के 15 लाख बिजलीकर्मी विरोध प्रदर्शन के जरिये सरकारों के सामने एकता का नमूना पेश करेंगे। अप्रत्यक्ष रूप से केन्द्र और प्रदेश सरकारों को यह चेतावनी होगी कि यदि निजीकरण करने का प्रयास हुआ तो देश के बिजली कर्मचारी इसके विरोध में किसी हद तक जा सकते है।

उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह एवं सचिव प्रभात सिंह ने संयुक्त रूप से एक वर्चुअल कान्फ्रेंस में गुरूवार को बताया कि विरोध प्रदर्शन में निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट को निरस्त करने की मॉंग करते हुए सरकारों को यह चेतावनी भी दी जाएगी कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लिया जाएगा।

उन्होंने बेहतर विद्युत आपूर्ति और अनावश्यक खर्चों को रोकने के लिए बिजली कंपनियों का एकीकरण करने की मांग की और कहा कि 'केरल केईएसईबी लिमिटेड' की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का ऐसा पुनर्गठन किया जाना चाहिए जिसमे उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों। उन्होंने निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त करने और चल रहे निजीकरण व् फ्रेंचाइजी को रद्द करने की भी मांग की।

दोनो ही पदाधिकारियों का कहना था कि आजादी के बाद की अधिकांश सरकारों ने बिजली कर्मचारियों को अपने परिवार का सदस्य माना जिससे न केवल बिजली का उत्पादन बढ़ा बल्कि बिजली चोरी जैसे दुर्गुणों पर भी विराम लग गया था लेकिन जब से सरकार संविदा जैसी योजना को लाई तभी से सरकारों ने कर्मचारियों का विश्वास खो दिया। उनकी मांग है कि सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए तथा तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाये।

विद्युत कर्मचारी सँयुक्त संघर्ष समिति के उप्र के पदाधिकारियों ने बताया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी रोष है। इसे रोकने के लिए समिति का केन्द्रीय नेतृत्व प्रयास कर रहा है।

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि सांकेतिक आंदोलन कर सरकारों को पहले आइना दिखा देना चाहिए और न मानने पर आंदोलन को तेज किया जाना चाहिए। इसीलिए देश भर में बिजलीकर्मी विरोध सभाएं व प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकूमेंट को निरस्त करने की मॉंग करेंगे और निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे।

समिति के पदाधिकारियों का यह भी कहना था कि बिजली कर्मी इस विरोध प्रदर्शन में उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील करते हुए उन्हें निजीकरण से होनेवाले नुकसान से भी अवगत कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी । वर्तमान में बिजली की लागत लगभग रु 07.90 प्रति यूनिट है। चूंकि कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार होगा इसलिए 10 रु प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिल सकेगी।

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