साथी की पिटाई से गुस्साए वकीलों ने पुलिस को दौड़ाया-दिया धरना

साथी की पिटाई से गुस्साए वकीलों ने पुलिस को दौड़ाया-दिया धरना

देवरिया। दुकान खाली कराने के मामले में मौके पर पहुंचे एसडीएम का जब अधिवक्ता ने विरोध किया तो कोतवाली पुलिस वकील को अपनी गाड़ी में बैठाकर कोतवाली में ले गई। आरोप है कि इस दौरान अधिवक्ता के साथ बदसलूकी करते हुए मारपीट भी की गई। आज सवेरे जब अधिवक्ता कचहरी पहुंचे तो अन्य अधिवक्ताओं को उनके साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी हुई। जिसके बाद वकीलों ने दीवानी और कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान वकील को पकड़कर कोतवाली ले जाने वाले पुलिसकर्मी दिखाई दे गए, जिसके चलते वकीलों ने पुलिसकर्मियों को दौड़ा दिया। प्रदर्शनकारी वकील कोतवाल और एसडीएम को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

बृहस्पतिवार को वकीलों ने अपने साथी वकील की कोतवाली में पिटाई किए जाने का आरोप लगाते हुए कलेक्ट्रेट में जोरदार प्रदर्शन किया। कोतवाल और एसडीएम को हटाने की मांग कर रहे वकील धरना देकर कलेक्ट्रेट में बैठ गए। इस दौरान बताया गया कि उमा नगर मोहल्ले के रहने वाले अधिवक्ता विष्णु कुमार और एक व्यापारी के बीच विवाद चल रहा है। बताया जा रहा है कि विष्णु कुमार की एक दुकान सुभाष चौक के पास लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में थी, इसे लेकर उनका एक व्यापारी के साथ विवाद चल रहा था। दुकान खाली कराने का मामला दीवानी न्यायालय में विचाराधीन है। आरोप है कि एसडीएम सदर सौरभ कुमार सिंह बुधवार को भारी पुलिस फोर्स के साथ दुकान खाली कराने के लिए पहुंचे तो अधिवक्ता ने कड़ा विरोध किया। इस पर कोतवाल ने अधिवक्ता को अपनी गाड़ी में बैठा लिया और कोतवाली ले गए। आज सवेरे जब वकील कचहरी पहुंचे तो अन्य अधिवक्ताओं को उनके साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी हुई, जिसके चलते उन्होंने कलक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अधिवक्ता कोतवाल और एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग पर अड़ गए। वकीलों के गुस्से को देखकर सीओ सदर श्रीयश त्रिपाठी और एएसपी राजेश कुमार सोनकर मौके पर पहुंचे और अधिवक्ताओं को समझाने बुझाने का प्रयास किया। लेकिन अधिवक्ता कार्यवाही की मांग पर अड़े रहे। गुस्साए अधिवक्ताओं ने मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की मांग शुरू कर दी। इस बीच सीओ सदर ने पीड़ित अधिवक्ता से प्रार्थना पत्र लेकर जिला अस्पताल में घायल अधिवक्ता को ले जाकर मेडिकल कराया। आरोप है कि वहां मेडिकल कराने में जानबूझकर देरी की गई। इससे अधिवक्ताओं का गुस्सा एक बार फिर से भड़क गया और उन्होंने धरना शुरू कर दिया।



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