पुलिस का कमाल-रातों रात बदल दिया सीज हुआ दुर्घटनाग्रस्त डंपर
कानपुर। पुलिस भी अपनी कार्यशैली से महारथ हासिल रखने की नई-नई गाथाएं लिख रही है। बिकरू और गोरखपुर में हुई कानपुर के रियल एस्टेट कारोबारी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले सामने आने के बाद भी पुलिस ने आरोपियों से सांठगांठ करते हुए रातों-रात दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुए मिटटी लदे डंपर के बदले हर तरह से चुस्त-दुरुस्त डंपर खड़ा करा दिया है। माना जा रहा है कि तब्दील किया गया क्षतिग्रस्त डंपर चोरी का था जिसे दूसरे डंपर के नंबर के सहारे खनन में इस्तेमाल किया जा रहा था। रातो रात हुआ यह बदलाव बड़े गोलमाल की ओर भी इशारा कर रहा है।
दरअसल चकेरी के लाल बंगला निवासी कारोबारी पंकज गुप्ता के भाई पवन गुप्ता 26 सितंबर को उन्नाव में हुए एक सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गए थे। हैलट अस्पताल में चल रहे उनके इलाज की बाबत परिवार के लोग मामले की जानकारी मिलने पर उनका हालचाल लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। देर रात पंकज का 22 वर्षीय बेटा आशुतोष अपने चचेरे भाई लकी के साथ बाइक पर सवार होकर घर लौट रहा था। उसी दौरान रास्ते में डीएमएसआरडीई पुलिया के समीप अवैध खनन में लगे एक डंपर ने आशुतोष की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी थी। डंपर की चपेट में आकर आशुतोष की मौके पर ही मौत हो गई थी। सड़क दुर्घटना की इस वारदात में उनका चचेरा भाई लक्की गंभीर रूप से घायल हो गया था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था और घायल हुए लक्की को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था। पुलिस ने क्षतिग्रस्त हुए डंपर को सड़क किनारे खड़ा करवा दिया था। इस मामले में पीड़ित परिवार की ओर से यूपी 78 पीएन 7576 नंबर के डंपर चालक के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बताया जा रहा है कि जो डंपर उस समय मौके पर खड़ा था, उसमें आगे या पीछे कहीं पर भी नंबर नहीं था। पुलिस जांच में डंपर ज्ञानेंद्र सिंह के नाम से पंजिकृत पाया गया था। घटना के बाद से 5 अक्टूबर तक मिट्टी लदा डंपर सड़क किनारे खड़ा हुआ था। मगर 6 सितंबर की रात डंपर की फेरबदल में क्षतिग्रस्त डंपर के स्थान पर मिट्टी लदे डंपर की बजाय खाली डंपर खड़ा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि क्षतिग्रस्त डंपर को बाकायदा मजदूरों के सहारे खाली कराया गया और सुबह के समय मुकदमे में दर्ज नंबर का ठीक ठाक हालत में दिखने वाला डंपर थाने में खड़ा कर दिया गया। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया?