सिपाही से दारोगा बने रिश्वतखोर को शासन ने जांच के बाद दी यह सजा..

सिपाही से दारोगा बने रिश्वतखोर को शासन ने जांच के बाद दी यह सजा..

वाराणसी। धोखाधड़ी के मामले में मिली विवेचना के दौरान 5 हजार रुपए की घूंस मांगने के मामले में रंगे हाथ गिरफ्तार किये गये रिश्वतखोर के खिलाफ शासन की ओर से की गई कार्यवाही के अंतर्गत सिपाही से दारोगा बने आरोपी को उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। दारोगा की बर्खास्तगी का आदेश विभागीय जांच के बाद कमिश्नरेट के अपर पुलिस आयुक्त की ओर से दिया गया है।

दरअसल वर्ष 2019 के मार्च माह में उपनिरीक्षक महेश सिंह सिगरा थाने की सोनिया पुलिस चौकी पर प्रभारी के पद पर तैनात था। जालपा देवी रोड कबीरचौरा निवासी राजकुमार गुप्ता की ओर से दर्ज कराए गये धोखाधड़ी के मुकदमे की विवेचना का काम दारोगा महेश सिंह को सौंपा गया था। राजकुमार गुप्ता की ओर से एंटी करप्शन ब्यूरो को शिकायत की गई, कि मुकदमे में कार्रवाई के लिए दारोगा महेश सिंह द्वारा उससे बार-बार पैसे की मांग की जाती है। दारोगा कहता है कि 1000000 रूपये का मामला है, तुम पैसे खर्च करो तभी कार्रवाई होगी। राजकुमार गुप्ता की शिकायत के आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो की ट्रैप टीम ने राजकुमार गुप्ता को कहा कि वह दारोगा को 5000 रूपये उसकी मांग के मुताबिक दे दे। वर्ष 2019 की 23 मार्च को राजकुमार गुप्ता केमिकल युक्त नोट लेकर सोनिया चौकी पर पहुंचा और वह नोट दारोगा महेश सिंह को थमा दिए। जैसे ही दारोगा के हाथ में रुपए पहुंचे तुरंत ही एंटी करप्शन ब्यूरो की ट्रैप टीम ने दारोगा को घूंस लेते हुए रंगे हाथ दबोच लिया और मुकदमा दर्ज कराते उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने दारोगा को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि दारोगा महेश सिंह पुलिस विभाग में वर्ष 1994 के दौरान सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। उत्कृष्ट सेवा अभिलेखों के आधार पर वर्ष 2015 में उसे सिपाही से सब इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नत किया गया था।



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