सरकार के पास बच्चों के फंस गए हैं 1.48 करोड़ रुपये
प्रयागराज। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे गरीबों के 1484 बच्चों के तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए सरकार के पास फंसे हुए हैं। अधिकारियों के लगातार चक्कर काटने के बावजूद भी बच्चों के पैसे उनके अभिभावकों के खाते तक नहीं पहुंच रहे हैं। जिससे बच्चों की शिक्षा पर यह राशि नहीं मिलने से गहरा असर पड़ रहा है।
दरअसल सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष कान्वेन्ट स्कूल मेें शिक्षा ग्रहण के लिये चयनित होने वाल बच्चे को निजी स्कूल की यूनिफॉर्म और किताब आदि के लिए 5000 रूपये प्रतिवर्ष की सहायता राशि दी जाती है। पिछले तकरीबन ढाई साल से कोविड-19 काल की वजह से यह राशि बच्चों को नहीं मिल पाई है। जिससे पैसों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है। अभिभावक रोजाना इलाके के खंड शिक्षा अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। आरटीई के अंतर्गत सरकार की ओर से 100000 प्रतिवर्ष की पारिवारिक आय वाले समूह और दुर्बल वर्ग के बच्चों को प्राइवेट कान्वेंट स्कूल में कक्षा एक और प्री प्राइमरी कक्षाओं में लॉटरी के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। कॉन्वेंट स्कूल में पढने के लिये चयनित बच्चों की फीस देने के साथ ही सरकार की ओर से सालाना, यूनिफॉर्म और किताब आदि के लिए 5000 रूपये की राशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाती हैं, लेकिन पिछले तकरीबन ढाई साल से यह राशि बच्चों के अभिभावकों के खाते में नहीं पहुंच पाई है। अभिभावक लगातार खंड शिक्षा अधिकारियों व अन्य शिक्षा बाबूओ के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। मगर तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक अभिभावकों के पास यह धनराशि नहीं पहुंच पाई है।