कोरोना के खात्मे के लिए 10 वर्षीय बालिका ने रखा रोजा
सहारनपुर। लाॅकडाउन की भयावहता की बीच जहां अवसरवादी लोग जरूरी सामानों की जमाखोरी कर कालाबाजारी करते हुए धन इकटठा करने के लिये भारी मुनाफाखोरी कर रहे है। वही कोरोना की चपेेट मेेें आकर देखते ही देखते जा रही इंसानी जान की सलामती की रक्षा के लिये रोजा रखकर अल्लाहताला से कोरोना के खात्मे की दुआ मांगी है। रमजान के आखरी अशरे में 10 वर्षीय हिफजा सिद्दीकी ने रोजा रखा। तपती धूप और गर्मी की परवाह किये बगैर हिफजा ने अल्लाह और उसके रसूल की रजा हासिल करने के लिए भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त कर पूरी दुनिया से कोरोना के खात्मे की दुआ की। उर्दू तालिमी बोर्ड के महासचिव दानिश सिद्दीकी की भांजी हिफजा सिद्दीकी ने पहली बार रोजा रखा। उनके परिवार वालों ने उनकी हौसला अफजाई की।
इफ्तार के समय हिफजा की दोस्त व भाई- बहन हमना सिद्दीकी, रय्यान सिद्दीकी, हस्सान सिद्दीकी के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। हिफजा के पिता सालिम सिद्दीकी निवासी पुल कम्बोहान लक्खी गेट प्रथम ने बताया कि हिफजा सिद्दीकी 10 वर्ष की है। वह दीनी तालीम के साथ स्कूली पढ़ाई में भी अच्छी रूचि रखती है। हिफजा कक्षा 4 की छात्रा है। ब्राउनवुड स्कूल में पढ़ती है। हिफजा कुरआन मुकम्मल कर चुकी है। घर मे भी कुरआन की तिलावत करती है। हिफजा ने अपनी माता सदफ सिद्दीकी से जिद करके रोजा रखा। सेहरी में उठ कर सेहरी खाई व घर वालो के साथ नमाज अदा कर कुरआन की तिलावत की। पहला रोजा रखकर अल्लाह से कोरोना के खात्मे की दुआ मांगी। 10 साल की हिफजा ने बताया कि खुदा से अपने गुनाह माफ करवाने और पूरे देश मे फैली महामारी से निजात पाने के लिए हम सब दुआ करेें। हिफजा के रोजा रखने पर पूरे घर में खुशी का माहौल है। 10 साल की हिफजा कहती हैं कि उनके रोजा रखने पर उनकी माँ ने उनके खाने के लिए कई पकवान बनाए हैं।