यूपी में 'पंजा' लड़ा रही नई-पुरानी कांग्रेस
लखनऊ। कांग्रेस हाईकमान की दिल्ली में बैठक में जैसे बीते दिनों नई और पुरानी कांग्रेस में मतभेद सामने आए, वैसे ही उत्तर प्रदेश में भी नई और पुरानी कांग्रेस पंजा लड़ाती दिख रही है। यहां पर तो पुराने और वरिष्ठ कांग्रेसी जहां पार्टी के पुराने वोट बैंक का समीकरण ब्राह्मण कार्ड के जरिए साधना चाहते हैं, वहीं मौजूदा पदाधिकारी सिर्फ दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे 2022 का मैदान मारना चाहते हैं। नरेंद्र मोदी की लहर में केंद्र में अपना लगभग सब कुछ गंवा चुकी कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश उम्मीदों की धरती है। यही कारण है कि कांग्रेस महासचिव और गांधी-नेहरू परिवार की बेटी प्रियंका वाड्रा भी उत्तर प्रदेश आई हैं। यहां पर उन्होंने पूरे संगठन को भंग कर अपने हिसाब से सजाया है। वह अपने आक्रामक तेवरों के साथ प्रदेश सरकार को घेरने का लगातार प्रयास कर रही हैं और कई बार सड़कों पर उतरकर अन्य विपक्षी दलों को परेशान कर चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस की इस सक्रियता पर अंदर से संशय और सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। पुराने कांग्रेसी मानते हैं कि कांग्रेस को ब्राह्मण सहित सवर्णों को भाजपा की गांठ से अच्छी संख्या में छुड़ाना होगा। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं ने भी रणनीति समझाई है कि ब्राह्मण साथ आए तो मुस्लिम अपने आप आएंगे।
इसी उम्मीद के साथ पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद पार्टी के पक्ष में ब्राह्मणों को एकजुट करना चाहते हैं, लेकिन उनके इस अभियान में फिलहाल पार्टी से ही साथ नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित अन्य नए नेता दलित-मुस्लिम गठजोड़ की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी वजह से उत्तर प्रदेश में जहां भी दलित और मुस्लिमों के साथ घटनाएं हुईं, वहां यथासंभव कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष लल्लू और सांसद पीएल पुनिया जैसे वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में गया है। इसी तरह आजमगढ़ में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद गुरुवार को कांग्रेस का दल महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत के साथ आजमगढ़ पहुंचा।पार्टी की प्रदेश में इस रणनीति के इस बिंदु पर तमाम पुराने कांग्रेसियों में असहमति है, क्योंकि ब्राह्मणों के साथ अन्याय की किसी घटना में शायद ही कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भेजा गया हो।