यूपी के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान का निधन, चल रहा था कोरोना का इलाज
लखनऊ। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान का निधन हो गया है। वे 73 वर्ष के थे। उनके छोटे भाई पुष्पेंद्र चौहान ने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी समस्याओं के कारण से उनका निधन हो गया। 15 जुलाई को उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में एडमिट कराया गया था।
11 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें एसजीपीजीआई में एडमिट कराया गया था। इसके बाद उन्हें किडनी और ब्लड प्रेशर की समस्याएं शुरू हो गईं, जिसके बाद 15 जुलाई को उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया था। बीच में दो बार चौहान की कोरोना संक्रमण रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद फिर पॉजिटिव आई थी।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर कहा, "पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी, चेतन चौहान के असामयिक निधन का व्यथित कर देने वाला समाचार प्राप्त हुआ। प्रभु राम, चौहान के परिजनों को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति एवं दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। ॐ शांति।" बतौर क्रिकेटर कैरियर की शुरुआत की थी। चेतन चौहान का जन्म 21 जुलाई 1947 को बरेली में हुआ था। उन्होंने अपना करियर क्रिकेटर के तौर पर प्रारंभ किया था। एक समय मशहूर ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर के साथ उनकी जोड़ी बेहद लोकप्रिय थी। पिछले महीने 21 जुलाई को उन्होंने अपना 73वां जन्मदिन मनाया था।
भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने 40 टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 97 रहा। करियर में बिना शतक लगाए (1969-1981) दो हजार रन बनाने वाले वह विश्व के पहले क्रिकेटर हैं। वैसे बिना शतक लगाए सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड शेन वॉर्न के नाम है। उन्होंने (1992-2007) 145 टेस्ट मैचों में 3154 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर 99 रहा था। गावस्कर और चौहान की जोड़ी ने टेस्ट की 60 पारियों में 54.85 की औसत से 3127 रन बनाए। दोनों ने कुल 11 शतकीय साझेदारियां कीं, जिनमें से 10 पहले विकेट के लिए रहीं।
चेतन चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट से 1991 में अमरोहा में लोकसभा सीट पर पहला चुनाव लड़ा और वे वहां से सांसद चुने गए। इसके बाद एक बार फिर 1996 में भाजपा ने उन्हें इसी मैदान में चुनावी जंग के लिए उतारा, लेकिन इस बार वे हार गये। 1998 में चेतन चौहान एक बार फिर सांसद चुने गए। वहीं, साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल वे अमरोहा जिले की नौगांवा विधानसभा के विधायक थे।