खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाओं से कोरोना में राहत, चिकित्सा विशेषज्ञ उत्साहित

खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाओं से कोरोना में राहत, चिकित्सा विशेषज्ञ उत्साहित
  • whatsapp
  • Telegram

लखनऊ। कोरोना के गंभीर मरीजों में खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं शुरू करने से राहत मिली है। अब आईसीयू में इन दवाओं को अनिवार्य रूप से दिया जा रहा है। इसके सकारात्मक नतीजों से चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम उत्साहित है। हालांकि, ब्लड शुगर नियंत्रित करने को माथापच्ची चल रही है।

लेवल थ्री के अस्पतालों केजीएमयू, लोहिया संस्थान और पीजीआई में अति गंभीर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। आईसीयू में आने वाले मरीजों के फेफड़े में संक्रमण के बाद खून का थक्का बनना सबसे बड़ी चुनौती था। इससे फेफड़े जाम हो जाते हैं। वहीं, फेफड़े में सूजन और द्रव्य बनने से सांस लेने में परेशानी (साइटोकिन स्टार्म) से मरीज की स्थिति गंभीर होने लगती है।

ऐसे में कुछ दिनों से मरीजों को खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं दी जा रही हैं। इनके नतीजे सकारात्मक मिले हैं। अभी तक ये दवाएं सिर्फ हृदय रोगियों को दी जाती थीं, लेकिन अब इनका प्रयोग कोरोना के गंभीर मरीजों में भी किया जाने लगा है। हालांकि, जिन मरीजों को किडनी संबंधी समस्या होती है, उन्हें ये दवाएं नहीं दी जाती हैं। उनके लिए दूसरी दवाओं का सहारा लिया जा रहा है।

केजीएमयू की आईसीयू दो के प्रभारी डॉ. अजय वर्मा ने बताया कि एंटी कागलेंट दवाओं का असर सकारात्मक दिखा है। इनसे क्लॉटिंग रोकी जाती है। इसमें से ज्यादातर दवाओं को आईसीएमआर की ओर से संस्तुति दी गई है। कुछ मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी भी देकर संक्रमण पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जाता है। शुगर वाले मरीजों को बचाने के लिए हर स्तर पर तत्परता दिखानी पड़ती है।

पीजीआई के आईसीयू प्रभारी डॉ. जिया हाशिम बताते हैं कि गंभीर मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या से राहत मिलने लगी है, लेकिन शुगर नियंत्रित करना चुनौती बना है। एआरडीएस के मरीजों में संक्रमण नियंत्रित करने के लिए कई बार स्टेराइड देना पड़ता है। ऐसे में जो मरीज शुगर वाले हैं, उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है। इनका शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। ऐसे में इंसुलिन के साथ अन्य दवाएं भी दी जा रही हैं।

(हिफी न्यूज)

epmty
epmty
Top