पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा, सीने पर गोलियां खाकर शहीद हुए पुलिस के जवान

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा, सीने पर गोलियां खाकर शहीद हुए पुलिस के जवान

कानपुर। चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गैंग के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मी सीने पर गोलिया खाकर शहीद हुए हैं। पुलिस जवानों ने हौसला नहीं तोड़ा था, परंतु तीनों ओर से घिरे होने के पश्चात डटकर मुकाबला किया और छाती पर गोलियां खाकर शहीद हो गए। शहीदों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि सभी आठ पुलिसकर्मियों को माथे, सीने, गर्दन, पेट और हाथ-पैर में भी सामने से ही गोली लगी थी।

पुलिस के अनुसार उस वक्त विकास दुबे गैंग के करीब 100 बदमाश मय हथियार वहां एकत्र थे जब पुलिस की टीम विकास दुबे के घर दबिश को पहुंची थी। एके-47 सहित कई स्वचालित शस्त्रों से फायरिंग की गई। फायरिंग में लिप्त सभी गुंडों ने एक साथ अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले के जवाब में पुलिस की ओर से केवल 51 राउंड ही गोलियां चली। तीन ओर से हो रही ताबड़तोड़ फायरिंग से किसी को भी संभलने का समय तक नहीं मिला। मुठभेड़ में शहीद हुए अफसरों और जवानों को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। क्षेत्राधिकारी बिल्ल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा का अंतिम संस्कार भैरो घाट पर संपन्न हुआ।बेटी वैष्णवी ने गार्ड ऑफ़ ऑनर के बाद उन्हें मुखाग्नि दी। अन्य शहीद जवानों का उनके गृह नगर में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।

हिस्ट्रीशीटर व राजनीतिक छत्रछाया में पलने वाले कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने जितनी बेफिक्री से पुलिस टीम गई उधर अपराधी गैंग उतनी ही तैयारियों से बैठा था। अपराधी गैंग को पुलिस के दबिश के लिए तीन थानों की फोर्स मय असलाह गई थी इसके बावजूद तीनों ओर से गिरे होने के कारण पुलिस पर यह है हमला हुआ। पुलिस की दबिश मूवमेंट की उसे पल पल की खबर थी। इसी कारण से उसने न केवल पूरे गैंग को तैयारी से इकट्ठा कर लिया बल्कि घटनास्थल पर जेसीबी लगाकर पहले से ही पुलिसकर्मियों का रास्ता भी रोक दिया था।

इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस ने कुख्यात विकास दुबे सहित 21 नामजद और 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कार्रवाई प्रारंभ की है। पुलिस ने विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। बीजेपी नेता राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की हत्या के मामले में अतुल दुबे नामजद आरोपी था। वर्ष 2001 में चचेरे भाई अतुल व मामा प्रेम प्रकाश के खिलाफ भी डकैती का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। वहीं पूरे मामले में चौबेपुर थाने के प्रभारी विनय कुमार तिवारी की भूमिका पर संदेह के घेरे में है, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। कॉल डिटेल से पता लगाया जा रहा है कि विकास दुबे के संपर्क में कौन लोग थे। एसओ विनय कुमार तिवारी पर सूचनाएं लीक करने का आरोप है। ऐसे में उनके खिलाफ गहन तफ्तीश के भी निर्देश दिए गए हैं।

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