लखनऊ में सामुदायिक संक्रमण नहीं, पूल टेस्टिंग से आया राहत भरा नतीजा
लखनऊ। राजधानी के लिए राहत भरी खबर है कि कोरोना की चपेट में आए प्रवासियों से यहां सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ। यह खुलासा हुआ है स्वास्थ्य विभाग की ओर से 25 से अधिक गांवों में कराई गई पूल टेस्टिंग में। दिल्ली, मुंबई, गुजरात सहित विभिन्न प्रदेशों से लौटे प्रवासियों से कम्युनिटी में कोरोना के फैलाव की आशंका जताई गई थी। इसकी हकीकत जानने को स्वास्थ्य विभाग ने कम्युनिटी आधारित पूल टेस्टिंग कराई। इसमें जिस गांव में ज्यादा प्रवासी आए थे, वहां के 10 स्वस्थ लोगों के सैंपल लेकर जांच कराई गई। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को इसका निर्देश दिया था।
इस पर माल, मलिहाबाद, सरोजिनीनगर, मोहनलालगंज के अलावा शहरी इलाकों में आलमबाग, ऐशबाग में पूल टेस्टिंग कराई गई। ग्रामीण इलाके में हर सीएचसी ने चार से पांच गांवों के 10-10 स्वस्थ लोगों के सैंपल लिए। कुल 250 से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है और अभी तक किसी इलाके में पूल टेस्टिंग के दौरान परिणाम पॉजिटिव नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग इसे सकारात्मक नजरिये से देख रहा है।
एसीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी का कहना है कि पूल टेस्टिंग में सभी सैंपल निगेटिव मिले हैं। इससे स्पष्ट है कि बाहरी राज्यों से आने वाले भले खुद संक्रमण की चपेट में आ गए, लेकिन उनसे गांव में वायरस नहीं फैला। यदि पूल टेस्टिंग का परिणाम पॉजिटिव आता तो उसके जरिये यह पता लगाया जाता कि संबंधित इलाके में वायरस का फैलाव कितना है। फिर उसी हिसाब से बचाव की रणनीति अपनाई जाती।
स्वास्थ्य विभाग ने बाहरी राज्यों से आने वालों की बस स्टैंड पर जांच कराई थी। करीब 2000 की जांच में 47 लोग पॉजिटिव मिले। इनमें पांच अन्य जिलों के हैं। पॉजिटिव मिले लोगों में सबसे ज्यादा माल, मलिहाबाद के हैं। इसमें पांच या 10 सैंपल एकसाथ लेकर टेस्ट किया जाता है। इसे कम संक्रमण वाले इलाकों में अपनाया जाता है, ताकि पता लग सके कि संबंधित इलाके में किस स्तर पर वायरस फैला। राजधानी में कराई पूल टेस्टिंग से यह पता लगाया गया कि जिन इलाकों में प्रवासी आए हैं, वहां वायरस फैला कि नहीं।
पूल टेस्टिंग के लिए गले या नाक से सैंपल लिया जाता है। इसे दो हिस्सों में बांट लिया जाता है। एक भाग को मिलाकर जांच की जाती है। सैंपल से पहले आरएनए निकाला जाता है। फिर रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है। इसमें स्क्रीनिंग से ई-जीन का पता लगाते हैं। ई-जीन से कोरोना के कॉमन जीन का पता लगता है। कोरोना की पूरी फैमिली है, जिसमें कई तरह के वायरस हैं। इन्हीं में से एक है Covid-19। इनका कॉमन ई-जीन होता है। टेस्ट में यह पॉजिटिव आता है तो पता लग जाता है कि इस सैंपल में किसी न किसी तरह का कोरोना वायरस है, लेकिन यह ब्वअपक-19 ही है यह नहीं कह सकते। इसके बाद सिर्फ ब्वअपक-19 का पता लगाने को टेस्ट किया जाता है। यदि जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है तो मान लिया जाता है कि सभी सैंपल निगेटिव हैं।