पंजाब से अपने घर गए प्रवासी मजदूर अब आ रहे वापस
चंडीगढ़। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर प्रदेशभर में जारी लॉकडाउन के बीच प्रदेश सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों को भेजे जाने के बाद अब मजदूर अपने राज्यों में पहुंचने के बाद और अधिक मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। अपने प्रदेश लौटे मजदूर अपने जमींदारों को अपने पास वापस लेकर जाने को कह रहे हैं क्योंकि वहां जाने के बाद उनके पास न तो कोई काम बचा है और न ही खाने को पैसा है। इसी के चलते घरों को लौटे प्रवासी मजदूरों की ओर से जमींदारों को कहने पर अब जमींदार अपने खर्च पर मजदूरों को बिहार, यूपी व अन्य प्रदेशों से वापस लेने के लिए जा रहे हैं। इसी के चलते बॉर्डर एरिया के गांव वाहका चैकी के जमींदारों की ओर से बस भेजकर बरेली यूपी से 25 मजदूरों को धान की रोपाई के लिए अपने खेतों में लाया गया है तो वहीं बस्ती राम लाल व बस्ती वकीलां वाली के जमींदार प्रवासी मजूदरों को लाने के बसें बिहार के लिए भेज चुके हैं।
प्रदेश सरकार की ओर से पंजाब से करीब 3.50 लाख प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों के माध्यम से उनके घरों तक भेजा गया। सरकार की ओर से मजदूरों को उनके घरों को भेजे जाने से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को उठानी पड़ रही है। मजदूरों के घरों को लौट जाने से किसानों को धान की रोपाई में सबसे बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
किसान अभी इस दुविधा में ही थे कि इस बार वह धान की रोपाई कैसे करेंगें मगर इसी बीच विभिन्न प्रदेशों में अपने घरों को लौटे मजदूरों के किसानों को फोन आने लगे कि वह घर पहुंचने के बाद बहुत परेशान हो गए हैं वह उनके पास आकर काम करना चाहते हैं धान की रोपाई करना चाहते हैं इसलिए वह किसी तरह उन्हें वहां से ले जाएं। इस बार उन्हें प्रति एकड़ 1000 से 1500 रुपए अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा क्योंकि किसानों को मजदूरों को उनके प्रदेशों में जाकर लेकर आना पड़ रहा है उसपर भी किसानों का खर्च हो रहा है। जितनी लेबर उन्होंने बुलाई है, उन्हें रहने का स्थान मुहैया करवाया जाएगा। धान रोपाई को लेकर काफी दिक्कत थी अब परेशानी दूर हो गई।
बरेली से 25 मजदूरों को अपने गांव में लेकर आए गांव वाहका चैकी के सरंपच राजबीर सिंह ने कहा कि उसकी खुद की 50 एकड़ भूमि है। इसके अलावा उनके भाई व अन्य रिश्तेदारों सहित कुल 250 एकड़ भूमि है। मजदूरों की ओर से लगातार फोन किए जाने के बाद उन्होंने ऑनलाइन पास अप्लाई करवा मजदूरों के पहचान पत्र व मेडिकल इत्यादि करवाने के बाद बरेली से 25 लेबर मंगवाएं है। किसानों ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार उस वक्त मजदूरों को संभाल लेती तो आज लेबर की यह परेशानी नहीं होती। यहां किसानों को धान की रोपाई करवाने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
(हिफी, हिंदुस्तान समाचार )