वाहनों की फिटनेस कराने को सेंटर के बाहर गुजारनी पड़ती है रात
उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग द्वारा व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस के लिए की गयी व्यवस्था वहां मालिकों के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। परिवहन विभाग द्वारा व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किये जाने के लिए १५ करोड़ की लागत से बनाया गया फिटनेस सेंटर वाहन मालिकों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। राजधानी लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय में लगभग ४०० गाड़ियाँ फिटनेस के लिए आती हैं जिसमे रोजाना केवल 150 गाड़ियों को ही चेक किया जा सकता है। जिसके लिए 10 बजे फिटनेस सेंटर खुलने के वाहन मालिकों को टोकन बाँट दिए जाते हैं, बाकी बचे वाहन मालिकों को दूसरे दिन के टोकन दिए जाते है। दूसरे दिन की लाइन में फिर वह वाहन चालक लाइन में लग जाते हैं जिनकी किसी कारण से फिटनेस रिजेक्ट हो जाती है। ऐसे में यह लाइन रोज की रोज लम्बी होती जा रही है। जैसा कि मालूम है ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर में छोटी छोटी कमियों के कारण गाड़ियों की फिटनेस कैंसिल कर दिए जाने के बाद वहां मालिकों को दुबारा फीस जमा करनी पड़ती थी। राजधानी के मोटर वहां संघों द्वारा विरोध दर्ज करवाए जाने के बाद ,परिवहन विभाग द्वारा उसी फीस पर दुबारा फिटनेस जारी किये जाने की व्यवस्था लागू कर दी। लेकिन परिवहन विभाग द्वारा बिना आंकलन ऑटोमेटिक फिटनेस लागू करना अधिकारियों की अक्लमंदी किसी भी हालत में नहीं कही जा सकती। जिसके नतीजे के तौर पर वाहन मालिकों को रात रात जागकर फिटनेस करवाने के लिए लाइन लगानी पड़ रही है। इसके लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों को गंभीरता से विचार करके सार्थक व्यवस्था किये जाने की जरुरत है।
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