मुज़फ्फरनगर में रक्तदान के नायक है दीपक कुमार पंगाल
मुज़फ्फरनगर। अपने लिये तो सभी जीते है,मगर जो मजा दूसरो को जिन्दगी देकर जीने मै है वो और कहा ? और जिन्दगी भी ऐसे देना हमारा खून दूसरो की रगो मे दौडे । जिसमे हम रक्त के अभाव के कारण जिन्दगी और मौत से जूझ रहे इंसान की अपनी रगो मे दौड रहे रक्त को देेकर जान बचा सके।वास्तव मे रक्तदान ऐसा दान है,जिसको देकर व्यक्ति का खून का रिश्ता अन्जान व्यक्ति से जुड जाता है,चाहे वह इसके बारे मे जानता हो या न जानता,पर उसकि रगो मै दौडने वाला खून इस बात का प्रमाण है कि उसकी रगो मे आपका ही दिया हुआ रक्त दौड रहा है।
मुजफ्फरनगर जनपद मै यूं तो अनेक रक्तदाता है,जो रक्तदान कर दूसरो की जान बचा रहे है। मगर कुछ रक्तदाता ऐसे भी है,जो न सिर्फ रक्तदान करते है,ब्लकि रक्त दान करने के लिए भी लोगो को प्रेरित करते है। जिनका नाम है दीपक कुमार पंगाल ,जिनका पंजाब की शुद्ध और खडी बोली के कारण पहचाने जाने वाले शहर संगरूर मे 28 अगस्त 1983 को जन्म हुआ। इनके पिता मांगेराम आर्मी मे थे।इसलिए समय समय पर उनका स्थानान्तरण होता रहता था। लखनऊ मे पले और बडे हुए दीपक ने 12 वी तक ही शिक्षा प्राप्त की।कम शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी दीपक ने समाज सेवा मे रूचि को सर्वोपरी रखा । एक बार दीपक की माता काफी बीमार हो गयी और चिकित्सको द्वारा उनको रक्त की कमी बतायी गयी।इनकी माता का ब्लड ग्रुप 0 नेगेटिव निकला,जो बहुत कम लोगो का ही ब्लड ग्रुप होता है।पुरी दुनिया मे मात्र 6.6 प्रतिशत लोगो का ही ब्लड ग्रुप 0 नेगेटिव होता है।माता की बीमारी मे रक्त के अभाव मे जो परेशानी हुई,उसने समाज मे रक्त के अभाव मे होने वाली परेशनियो के बारे मे सोचने पर मजबूर कर दिया।माता की बीमारी के कुछ दिन बाद ही भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध छिड ंगया ,जिसमे हमारे जवानो को भी काफी क्षति हुई।इसलिए हमारे जवानो के लिए देश मे जगह-जगह रक्तदान कैम्प लगाये गये।उसी रक्तदान कैम्प मे से एक रक्तदान कैम्प एन एन सी द्धारा बुचडी ग्राउण्ड में हाॅस्पिटल लखनऊ मे गया।जिसमे दीपक कुमार पंगाल ने अपना पहला रक्तदान किया।
अब तक 122 बार रक्तदान कर चुके दीपक बताते है कि मिशन वन्दे मातरम् के नाम के नाम से रक्तदान के लिए संस्था बनायी हुई है,जिसका सिर्फ और सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि किसी को भी रक्त की कमी महसूस न हो। इनका छोटा भाई प्रदीप कुमार भी अब तक 18 बार रक्तदान कर चुके हैं।
मिशन वन्दे मातरम के सहयोग से 1500 लोगो के लिए रक्तदान
दीपक ने बताया की मिशन वन्दे मात्रम से 200 से ज्यादा ऐसे लोग जुडे है,जिनकी अपनी-अपनी संस्थाए भी है ,जो रक्तदान के लिए रात-दिन काम कर रही है। अब तक मिशन वन्दे मातरम के सहयोग से लगभग 1500 लोगो के लिए रक्तदान किया जा चुका है।
कहां कहां रक्तदान की व्यवस्था की जा सकती है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद को छोडकर देश के सभी हिस्सों में रक्तदाता की व्यवस्था वंदे मातरम् तुरंत कर सकता है। हर जगह देश के सभी हिस्सों में जुडा रक्तदाता उपलब्ध है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में रक्तदाता आसानी से उपलब्ध न होने का कारण बताते हुए दीपक ने कहा कि इन बडे शहरों में ब्लड बैंक प्रांत 10 बजे से लेकर सायं 6 बजे तक ही खुलते है। जो लोगो का काम का समय होता है। इसलिए रक्तदान करने में वहां के लोगों को दिक्कत होती है।
अनेको शहरों मे रक्तदान के लिये पुरस्कारों से भी सम्मनित हो चुके है दीपक कुमार पंगाल- कोटा, राजगढ, रोहतक छत्तीसगढ राज्य बिजनौर एंव धामपुर के अलावा अनेकों शहरों में दीपक को रक्तदान के लिये प्रेरित करने के कारण सम्मानित किये जा चुके है।
मुजफ्फरनगर से बोन मैरो में रजिस्ट्रेशन कराने वाले पहले रक्तदाता दीपक
मुजफ्फरनगर जनपद से किसी रक्तदाता को बोन मैरो में रजिस्ट्रेशन कराने मे सफलता मिली है तो वो है दीपक।
बौन मेर्रो में रजिस्ट्रेशन कराने वाले सम्पूर्ण भारत में जहां पर भी जिस भी व्यक्ति को आवश्यकता होगी और उसका बोन मैरो दीपक के साथ मैच होगा दीपक को भारत के उसी हिस्से में जाकर दीपक को अपना बोन मैरो देना होगा।
हर वर्ष इस वंदे मात्रम के माध्यम से एक दिवसीय कांवड शिविर का आयोजन मंसूरपुर में किया जाता है। हर वर्ष मिशन वंदे मातरम् की पूरी टीम विशेष पुलिस अधिकारी बनकर पुलिसकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कांवड यात्रा महोत्सव में ड्यूटी करते है। दीपक रक्तदान की इस मुहिम को आगे बढाने में अकेले नही है। उनके साथ अनुभवी लोगों का साथ है। इनमें मुख्य रूप से विजय अरोरा, पुलकित अग्रवाल अखिल तागडा, पम्पी धनगर, सुभम त्यागी ,संजीव अरोड़ा , विकास शर्मा , वीनेस मदान , वीरेंद्र सिंह सेखो (हन्नी सेखो )अंकुर जैन ,पंकज महेश्वरी , संजय राठी ,सुमित कुमार तोमर , मनीष तोमर , जोगिन्दर सैनी , संजय खेडा , राहुल राजपूत, प्रभात गुप्ता , गौरव अरोड़ा ,पंकज पांचाल , महंत मन्सुख शर्मा , सौरव निगम आदि है। जो रात दिन मिशन वंदे मात्रम के मिशन को आगे बढाने में लगे हुए है।
रक्तदान करने से पहले शर्त
रक्तदान करने से पहले मिशन वंदे मात्रम की एक शर्त भी है। उनका कहना है कि जिसको रक्त की जरूरत है। पहले उस व्यक्ति के परिवार से कोई रक्तदान करे उसके बाद उसके रिश्तेदार तब जाकर भी अगर रक्त की जरूरत पडती है। तो ही वो रक्तदान करते है। इसलिए मिशन वंदे मात्रम की टीम कहती है किः पहले परिवार, रिश्तेदार, दोस्तयार, उसके बाद रक्तदान के लिये मिशन वंदे मातरम् तैयार