निवेशकों के लिए योगी ने खोला पिटारा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा जरूरत रोजगार की है। देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में अगर उद्योग धंधे लगेंगे तो बेरोजगारी अपने आप कम हो जाएगी। योगी आदित्य नाथ ने 2017 में जब पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी, तभी से उनका यह प्रयास शुरू हुआ कि निवेशकों को प्रदेश में आकर्षित किया जाय। इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन इसी मकसद से शुरू किया गया था। आज उसी का नतीजा है कि प्रदेश में सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है अथवा एमओयू के अनुबंध भरे गये हैं। योगी को मालूम है कि यह प्रक्रिया सतत चलनी चाहिए क्योंकि बढती आबादी के साथ रोजगार के अवसर भी बढाने होंगे।इसी के मद्देनजर गत 3 नवम्बर को यूपी में निवेश बढ़ाने को योगी सरकार ने घोषणाओं का पिटारा खोल दिया है। निवेशकों को अब स्टांप शुल्क में छूट, फास्ट ट्रैक से भूमि आवंटन और अनुसंधान के लिए सब्सिडी सहित कई रियायतें मिलेंगी। सरकार ने राज्य में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए नई औद्योगिक निवेश व प्रोत्साहन नीति 2022 को मंजूरी दे दी है। राज्य में निवेश के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गत दिनों यूनाइटेड स्टेट्स के डेलीगेट्स के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी अमेरिका से आए डेलिगेशन से मिले थे। अगले साल होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की बैठक से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। प्रदेश की नयी औद्योगिक नीति में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए गैर कृषि, बंजर और अनुपयोगी जमीन की पूलिंग को बढ़ावा देकर भूमि बैंक बनाने को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में कैबिनेट बैठक हुई। इस दौरान कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। प्रमुख रूप से निवेशकों का मामला था। योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में औद्योगिक निवेश नीति समेत कुल 22 प्रस्तावों पर मुहर लगाई। उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप नीति- 2017 के अंतर्गत वाणिज्यिक परिचालन आरंभ करते हेतु अवधि निर्धारण की व्यवस्था पर भी कैबिनेट ने मुहर लगाई है । उत्तर प्रदेश द्वारा अधिसूचित उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति 2020 में संशोधन किए जाने के संबंध में कैबिनेट ने मुहर लगाई है । इस प्रकार उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 को रोजगार उपलब्ध कराने में सश्रम बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यूपी सरकार ने नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दे दी है। नई नीति में निवेशकों को राज्य में निवेश करने पर कई तरह की सब्सिडी देने की बात कही गई है। अगले साल फरवरी में आयोजित होने जा रही 'यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' से पहले लागू की गई इस नीति का मकसद देश-विदेश से निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाला एक प्रगतिशील और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक इकोसिस्टम बनाना भी है।
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बताया कि राज्य में निवेश करने वाले निवेशक सब्सिडी के लिए 3 विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुन सकेंगे। राज्य में होने वाले निवेश को भी 4 श्रेणियों में बांटा गया है। इस क्रम में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा लेकिन 200 करोड़ रुपये से कम होने वाले निवेश को वृहद निवेश, 200 करोड़ या उससे ज्यादा लेकिन 500 करोड़ से कम के निवेश को मेगा, 500 करोड़ या उससे ज्यादा मगर 3,000 करोड़ से कम के निवेश को सुपर मेगा और 3,000 करोड़ या उससे अधिक के निवेश को अल्ट्रा मेगा निवेश श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। नंदी ने बताया कि उपरोक्त चारों श्रेणियों में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी प्राप्त करने के तीन विकल्प दिए जाएंगे। निवेशक पूंजीगत सब्सिडी, शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन 'टॉपअप' सब्सिडी में से किसी एक का लाभ ले सकेगा। नंद गोपाल 'नंदी' ने कहा कि नीति का उद्देश्य दुनिया भर से निवेश जुटाते हुए राज्य में रोजगार पैदा करने वाला एक प्रगतिशील, अभिनव और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
नंदी ने बताया कि राज्य में उपलब्ध भूमि बैंक में बढ़ोतरी करने के लिए निजी औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए प्रोत्साहन देने के प्रावधान किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश मंे निवेश के क्षेत्र के आधार पर 45 करोड़ रुपये की सीमा के तहत बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक के निजी औद्योगिक पार्क को तथा मध्यांचल और पश्चिमांचल में 30 एकड़ या उससे ज्यादा के औद्योगिक पार्क बनाने वालों को 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी। 100 एकड़ से अधिक के पार्कों के लिए अधिकतम सब्सिडी की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है। प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि नई औद्योगिक नीति में सुपर मेगा और उससे अधिक की निवेश परियोजनाओं और राज्य या केंद्र की सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक परियोजनाओं के लिए तेजी से जमीन आवंटन करने की भी व्घ्यवस्था की गई है। अब औद्योगिक विकास प्राधिकरण या विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में निवेशकों को सीधे भूमि आवंटित की जा सकेगी। नीति में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए गैर कृषि, बंजर और अनुपयोगी जमीन की पूलिंग को बढ़ावा देकर भूमि बैंक बनाने को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पांच ट्रिलियन इकोनामी का सपना पूरा करने और उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने के लिए योगी सरकार लगतार योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है। इसके लिए सरकार की लगातार इन्वेस्टर्स से भी बात चल रही। अब यूपी में बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सीएम योगी ने बड़ी पहल की है। राज्य में निवेश के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गत 1 नवम्बर को अमेरिका के प्रतिनिधियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई। राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी ने यूएस से आए डेलिगेशन से मुलाकात की । ग्लोबल इंवेस्टर्स समिति अर्थात जीआईएस-23 की बैठक से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाओं को देखते हुए अन्य देश निवेश के लिए आकर्षित हो रहे हैं। सीएम योगी ने यूएस इंडिया स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप फोरम के डेलीगेट्स से मुलाकात की थी। फोरम का 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीएम से मिला था और यूपी में यूएस के लिए निवेश के रास्ते खोलने को लेकर चर्चा हुई। कोरोना से निपटने के लिए डेलिगेशन सीएम योगी के '3 टी कॉन्सेप्ट' यानी ट्रेस, टेस्ट और ट्रीटमेंट की यूएस में ब्रांडिंग भी की जाएगी। यह सब यूपी के औद्योगिक विकास के मानक बनेंगे। (हिफी)