योगी सरकार का फैसला- सरकारी व निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया तो खैर नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गत 24 फरवरी को एक ऐसा विधेयक पारित कराया है जो इस देश के लिए अब बेहद जरूरी हो गया है। हमने आजादी प्राप्त करने के बाद लोकतंत्र अर्थात प्रजातंत्र को अपनाया है। प्रजातंत्र में जनता की सरकार है और उसी जनता के सर्वांग हित में हमारे विद्वान नेताओं ने संविधान बनाया। उस संविधान में कई प्रकार की स्वतंत्रता दी गयी। उस समय यह नहीं समझा गया था कि आजाद भारत के जागरूक निवासी उन स्वतंत्रताओं का बेजा फायदा उठाएंगे लेकिन क्या हमेशा वही होता है जो हम सोचते हैं? देश के संविधान के साथ भी वही हुआ। विरोध प्रकट करने के लिए संविधान ने धरना-प्रदर्शन की आजादी दी है। इसका बेजा फायदा उठाते हुए लोग दूसरों को परेशानी में डालते हैं और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। बसों को तोड़ते है, जलाते हैं। सड़क पर गड्ढे खोद देते हैं और अन्य बहुत से ऐसे कार्य करते हैं जो वे समझते हैं कि संविधान में प्रदत्त अधिकार के तहत ही कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक विधेयक पारित कराया जिसके तहत सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को जेल जाना पड़ेगा। इसी के साथ यह भी जोड़ दिया जाता कि दूसरे को किसी भी प्रकार की तकलीफ पहुंचाने वालों को भी सजा मिले सकती है तो सोने में सुहागा होता। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस मामले में भी दिशा-निर्देश दिया था।
उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक -2021 के पारित होने के बाद किसी बात या मांग के लिए आंदोलन करने वालों को सरकारी के साथ निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाना अब भारी पड़ेगा। विधेयक में प्रावधान है कि ऐसा करने पर एक साल की जेल या पांच हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना देना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के अन्य भागों में भी आए दिन किसी न किसी मामले को लेकर आंदोलन होते रहते हैं। योगी सरकार ने यह महसूस किया कि उत्तर प्रदेश में आंदोलन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जाता है। प्रदर्शन करने वाले कभी सरकारी बसों के शीशे तोड़ते हैं तो कभी उन्हें आग के हवाले कर देते हैं। इतना ही नहीं किसी गरीब खोंमचे वाले का ठेला तोड़ दिया जाता है, दुकान में आग लगा देते हैं। वाहन जला देते हैं। इस प्रकार सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की सूचनाएं आए दिन मिलती हैं। राज्य सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया है। इस कानून के मुताबिक राजनीतिक जुलूसों, प्रदर्शन, हड़ताल, कामबंदी और आंदोलन के दौरान लोक संपत्ति और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सजा मिलेगी। इस कानून के अनुसार केन्द्र या राज्य सरकार स्थानीय निकाय निगम या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।
कानून में यह भी व्यवस्था की गयी है कि संस्थाओं के सौन्दर्य को नष्ट करने, तोड़फोड़ करने, किसी तरह से खराब करने या क्षति पहुंचाने उसमें स्याही, खड़िया, पेंट या किसी अन्य सामग्री से चिन्हित करने से होने वाले नुकसान को इस कानून के दायरे में लिया जाएगा। निजी संपत्ति को भी इसी दायरे में रखा जाएगा। यह कानून प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ओडी ओपी) योजना शुरू की है। आगरा में चमड़ा, फिरोजाबाद में ग्लास-चूड़ियां, मथुरा में बाथरूम फिटिंग, अलीगढ़ में ताले और हार्डवेयर, एटा में बैल और घंटी, प्रयागराज में अमरूद फल प्रसंस्करण और बांदा में सागर पत्थर शिल्प जैसे उत्पादों को बढ़ावा दिया गया है। इसके तहत लोग पूंजी निवेश भी कर रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट आने का एक कारण मजदूरों की अशांति भी रही है। हम यह नहीं कह सकते कि मजदूरों के सभी आंदोलन गलत हुए लेकिन कई बार अनावश्यक रूप से अशांति पैदा की गयी और उसके नतीजे में औद्योगिक उत्पादन बंद हो गया। अब नये कानून के तहत इस प्रकार के आंदोलन भी नहीं हो पाएंगे जिससे संस्थान की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचे। उद्यमी निश्चिंग होकर अपना कारोबार कर सकेंगे। विगत में धरना-प्रदर्शन के दौरान फैक्ट्रियों में भी आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हो चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश में डिफेन्स काॅरिडोर ने औद्योगिक विकास के नए आयाम खोले हैं। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गत दिनों बताया कि आस्ट्रेलिया भी उत्तर प्रदेश में कृषि, शिक्षा, रोड, रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में निवेश का इच्छुक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की तरक्की के लिए उद्योग, बुनियादी ढांचे और इलेक्ट्रिानिक्स सेक्टर में बीते वर्ष की अपेक्षा अधिक बजट भी दिया है। इन तीन सेक्टरों में मुख्यमंत्री ने 32 हजार करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का आवंटन किया है। इस बजटीय आवंटन के जरिए मुख्यमंत्री ने गंगा एक्सपे्रस वे, बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के माध्यम से सूबे को पूर्व से लेकर पश्चिम तक बेहतर सड़क मार्ग से जोड़ भी दिया है। इण्डस्ट्री सेक्टर में 16660.78 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इसका पूरा लाभ तभी मिलेगा जब माहौल सही होगा। किसी भी प्रकार की अशांति से औद्योगिक क्रांति का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने नयी श्रम नीति बनायी है। श्रमिक संगठनों ने इस पर असंतोष भी जताया, विशेष रूप से 12 घंटे काम करने को लेकर, लेकिन आपसी सहमति से उत्पादन की गति बढ़ायी जा सकती है। प्रजातंत्र में विरोध करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि हम इस अधिकार को खत्म नहीं कर सकते लेकिन हमें दूसरे का हक भी बाधित करने का अधिकार नहीं है। कानून में इस बात का भी प्रावधान होना चाहिए था कि धरना- प्रदर्शन करने वाले रोड जाम नहीं करेंगे और रेल की पटरी पर नहीं बैठ सकेंगे। सरकारी सम्पत्ति सभी की है तो इसका यह मतलब नहीं कि आप रेल को चलने से रोक दें अथवा सड़क जामकर सारे वाहन रोक दें। इससे दूसरों को परेशानी होती है। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही जनता की परेशानी बढ़ाने का प्रावधान भी उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 में जोड़ देना चाहिए।
हिफी