मरने के बाद भी सुरक्षित नही महिलायें- श्मशान में अधजले शव का मांस..

मरने के बाद भी सुरक्षित नही महिलायें- श्मशान में अधजले शव का मांस..

नई दिल्ली। श्मशान घाट के भीतर पहुंचे दो व्यक्तियों ने नरभक्षी बनते हुए अंतिम संस्कार की गई महिला के अधजले शव के मांस को खाना शुरू कर दिया। मामले का पता चलते ही भागदौड़ करते हुए मौके पर पहुंचे गांव वालों ने अधजले शव का मांस खा रहे दोनों नरभक्षियों को पकड़ लिया और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को अपने कब्जे में ले लिया। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर से 4 दिन के भीतर इस मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है।

दरअसल ओडिशा के मयूरभंज इलाके के बानसाही गांव में रहने वाली 25 वर्षीय मधुस्मिता की इसी महीने की 12 जुलाई को तबीयत खराब हो गई थी। परिजन उसे लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन चिकित्सक उसे बचाने में कामयाब नही हो सके और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया था। अस्पताल प्रबंधन की ओर से वापिस दिए गए महिला के शव का परिजनों ने 12 जुलाई को ही गांव के श्मशान घाट में ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया था। महिला के क्रियाकर्म के बाद परिवारजन व अन्य लोग वापस लौट आये थे।

इसी बीच श्मशान घाट के समीप से होकर गुजर रहे लोगों ने दो व्यक्तियों को श्मशान घाट के भीतर जलाए गए शव के मांस को खाते हुए देखा दो नरभक्षियों को देखते ही उनके भीतर सिहरन सी दौड़ गई। तुरंत मामले की जानकारी गांव में दी गई। भागदौड़ करते हुए श्मशान घाट में पहुंचे ग्रामीणों ने महिला के मांस को चटखारे लेते हुए खा रहे 58 वर्षीय सुंदर मोहन सिंह और 25 वर्षीय नरेंद्र सिंह को पकड़ लिया और उन्हें एक कमरे के भीतर बंद कर दिया।


घटना के संबंध में जब पुलिस को मामले की जानकारी दी गई तो गांव में पहुंची पुलिस दोनों को हिरासत में लेकर थाने चली गई। अब मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील राधा कांत त्रिपाठी की ओर से जब मामला मानवाधिकार आयोग के सम्मुख दायर किया तो आयोग ने 20 जुलाई को निर्देश जारी करते हुए जिला कलेक्टर से 4 दिन के भीतर इस मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है। केस फाइल करने वाले वकील का कहना था कि इंसानी मांस खाकर मृत्यु उपरांत मिलने वाले अधिकार का दोनों व्यक्तियों द्वारा उल्लंघन किया गया है।

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