फिर लौटेंगे कुल्हड़ पत्तल के दिन- प्लास्टिक की कप प्लेट वालों की धरपक

फिर लौटेंगे कुल्हड़ पत्तल के दिन- प्लास्टिक की कप प्लेट वालों की धरपक

नई दिल्ली। कुल्हड़ में चाय आदि पीने और पत्तल पर खाना व चाट आदि फिर से खाने की आशाएं बलवती हो रही है। सरकार की ओर से प्लास्टिक के कप, प्लेट, झंडे, प्लास्टिक की स्टिक वाले इयरबड, चम्मच, चाकू आदि पर रोक लगाने की तैयारी चल रही है। देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजें 1 जुलाई से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी जाएगी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश अधिसूचित कर दिया गया है।

शुक्रवार को केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट करके कहा है कि सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश प्लास्टिक के नए विकल्पों के विकास को बढ़ावा देने के साथ व्यवसायों को टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की ओर बढ़ने के लिए एक रोडमैप प्रदान करेंगी।

इन दिशा-निर्देशों को लागू करवाने की जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण समिति पर होगी। एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसमें प्लास्टिक के झंडों से लेकर ईयर बड तक सभी कुछ शामिल है। इसके साथ पैकेजिंग मैटिरियल में भी सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन होगा।

इन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड, गुब्बारे में लगने वाली प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्माकोल, प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर आदि शामिल हैं।उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले तक शादी विवाह आदि समारोह के अलावा चाट पकौड़ी एवं चाय की दुकानों पर वृक्षों के पत्तों से बनी पत्तल तथा मिट्टी से बने कुल्लड़ का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आधुनिकता के चलते हर क्षेत्र में प्लास्टिक ने अपना कब्जा जमाते हुए लोगों को थर्माकोल व प्लास्टिक की पत्रों में खाना खाने एवं प्लास्टिक के कप गिलास में चाय व पानी पीने के लिए मजबूर कर दिया आम तौर पर देखा जा सकता है कि शादी विवाह समारोह के बाद उत्पन्न हुए कचरे को ठिकाने लगाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है प्लास्टिक में थर्माकोल से बने गिलास वह कब आदि को जब जलाया जाता है तो उनसे ऐसी दुर्गंध वह धुआं निकलता है जिससे सांस लेना भी दुश्वार हो जाता है

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