गड्ढे भरके बदली सड़कों की तकदीर-राज्य सरकारों के लिए दंपत्ति नजीर
नई दिल्ली। आवागमन के लिए बनाई गई सड़कों का देश के विकास में सबसे बड़ा योगदान है। केंद्र और राज्य सरकार सड़क निर्माण और इनकी मरम्मत के दावे करते नहीं थकती है। इसके बावजूद गड्ढों की वजह से हर दिन होने वाली सैकड़ों दुर्घटनाओं में लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं। हालाकि कर्मचारियों की तैनाती करते हुए सड़कों की मरम्मत के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। इसके बावजूद गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं लगातार होती रहती है।गडढों के कारण हुई एक दुर्घटना को देखकर बुरी तरह से द्रवित हुए हैदराबाद के एक बुजुर्ग दंपत्ति ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है शायद ही सरकार भी ऐसा कर पाए। यह दंपत्ति पिछले 11 वर्ष से लगातार गड्ढे भरने का काम कर रहे हैं।
दरअसल हैदराबाद के 73 वर्षीय गंगाधर तिलक कटनम रेलवे की नौकरी से रिटायर होने के बाद हैदराबाद शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने सड़कों पर गड्ढों की वजह से कई दुर्घटनाओं को अपनी आंखों के सामने होते हुए देखा। जिसके चलते उनका मन भीतर तक द्रवित हो उठा और उन्होंने ठान लिया कि वह गड्ढों को भरने का जिम्मा सरकार के ऊपर छोड़ने के बजाय स्वयं ही भरेंगे। हालांकि उन्होंने अपना काम शुरू करने से पहले संबंधित अधिकारियों से गड्ढों को भरने की बाबत बात भी की। लेकिन जब समस्या का निवारण नहीं हुआ तो वह खुद ही गड्ढों को भरने के अभियान में जुट गए। रेलवे से रिटायर इंजीनियर कटनम और उनकी पत्नी 64 वर्षीय वेंकटेश्वरी कटनम दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों और चौराहों आदि पर गड्ढों को ठीक कर रहे हैं। दोनों अब तक 2000 से अधिक गड्ढे भर चुके हैं।
इस काम के लिए उन्हें सरकार से कोई पैसा नहीं मिलता है, बल्कि गड्ढों को भरने में वह अपनी पेंशन से पैसा लगाते हैं। दोनों पति-पत्नी अपनी कार में ड्राइव करते हैं। जिसे वे पोथोल एंबुलेंस कहते हैं। सफर के दौरान जहां भी उन्हें गड्ढे मिलते हैं उन्हें तुरंत भर देते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक वह तकरीबन 4000000 रुपए गड्ढों के भरने पर खर्च कर चुके हैं। कटनम अब रोड डॉक्टर के नाम से क्षेत्र भर में मशहूर हो चुके हैं। वह शहर के गड्ढों को भरने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। इस काम में उनकी पत्नी भी उनका पूरा साथ देती है। अब सोशल मीडिया पर इस दंपत्ति की जमकर तारीफ हो रही है।