तमांग ने आदिवासी दर्जे के मुद्दे पर मुर्मू से की हस्तक्षेप की मांग

तमांग ने आदिवासी दर्जे के मुद्दे पर मुर्मू से की हस्तक्षेप की मांग

गंगटोक, सिक्किम के मुख्यमंत्री पी एस तमांग ने राज्य के 12 उप-समुदायों को आदिवासी दर्जा सुनिश्चित करने और विधानसभा में लिम्बु एवं तमांग जनजातियों के लिए सीट आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है।

तमांग ने राष्ट्रपति से अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करने का भी अनुरोध किया ताकि राज्य में भक्तों का 17वें करमापा ओग्येन ट्रिनले दोरजी के साथ आमना-सामना हो सके, जिन्होंने विदेशी नागरिकता ली है और कई वर्षों से राज्य का दौरा नहीं किया है। गौरतलब है कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने ओग्येन ट्रिनले दोरजी को सिक्किम जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। वर्ष 2018 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के रुख को उलट दिया था और उन्हें राज्य में आने की अनुमति दी थी। करमापा ने इस बीच डोमिनिकन गणराज्य की नागरिकता ले ली है। वह हाल के दिनों में मुख्य रूप से अमेरिका में रह रहे हैं।

लिम्बु और तमांग जनजातियों के लिए बारह उप-समुदायों तथा विधानसभा सीट आरक्षण के लिए न्याय की मांग करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा,"वर्ष 1975 के जनमत संग्रह के बाद, हम (सिक्किम) महान लोकतांत्रिक राष्ट्र, भारत का हिस्सा बन गए। मुख्यधारा में शामिल होने के बाद, राज्य लगातार विकास कर रहा है। सिक्किम में विभिन्न समुदाय और उप-समुदाय हैं जो एक साथ सौहार्दपूर्वक रह रहे हैं। इनमें से भूटिया-लेप्चा समुदायों को 1978 में आदिवासी का दर्जा दिया गया है। बाद में, 2003 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने लिम्बु-तमांग समुदायों को आदिवासी के रूप में मान्यता दी।

उन्होंने कहा," अभी तक उनके पास राज्य विधायिका में कोई आरक्षित सीट नहीं है। कृपया, सीट आरक्षण दें। राय, गुरुंग, खास-छेत्री, बहुन, नेवार, संन्यासी, जोगी, यखा, सुनवर, मुखिया सहित अन्य 12 उप-समुदाय जहां तक ​​आदिवासी का दर्जा देने का सवाल है, मांझी और थामी को छोड़ दिया गया है। कृपया उनके साथ न्याय करें।" जनजातीय स्थिति के लिए जनता की आकांक्षाओं को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा,"पहले, हम जातीय समुदाय, भूटिया, लेपचा और नेपाली सभी नामग्याल वंश के 333 साल के शासनकाल के दौरान समान थे। अंग्रेजों ने अपनी जनगणना में तीनों का उल्लेख पहाड़ी जनजातियों के रूप में किया था। इसलिए, आदिवासियों के रूप में उनकी मान्यता की मांग बिल्कुल जायज है।" उन्होंने नेपाल के लिए चेवा भंजयांग कॉरिडोर के प्रस्तावित उद्घाटन के संबंध में परियोजना का भी उल्लेख किया, जिससे भारत और पड़ोसी राष्ट्र के बीच पर्यटन तथा व्यापार में सुधार की उम्मीद है। तमांग ने राज्य का दौरा करने और सात परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए मुर्मू का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से सिक्किम विकास और प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर होगा।

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