देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- 152 साल पुराने कानून पर रोक

देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- 152 साल पुराने कानून पर रोक
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नई दिल्ली। आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे देशद्रोह के कानून को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से बड़ा ही सख्त फैसला देते हुए आदेश दिया गया है कि जब तक आईपीसी की धारा 124-ए के पुर्नपरीक्षण का काम पूरा नहीं हो जाता है उस समय तक इस कानून के अंतर्गत देश भर में कहीं भी कोई मामला दर्ज नहीं होगा। उच्चतम न्यायालय की ओर से इस कानून के अंतर्गत पहले से दर्ज मामलों को लेकर भी कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है। अब इस धारा के अंतर्गत जेल में बंद आरोपी भी जमानत के लिए अदालत में अपील कर सकते हैं।

बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 1870 में बने अर्थात 152 साल पुराने राजद्रोह कानून आईपीसी की धारा 124ं-ए को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दायर किया है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय की ओर से केंद्र को इस कानून के प्रावधानों पर फिर से विचार करने की अनुमति दे दी है। इससे पहले सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आईपीसी की धारा 124-ए को लेकर रोक नहीं लगाई जाए। हालांकि उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया है कि भविष्य में इस कानून के अंतर्गत एफआईआर पुलिस अधीक्षक की जांच और सहमति के बाद ही दर्ज की जाए।

उधर सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह का कानून को लेकर आदेश दिया है कि जब तक आईपीसी की धारा 124-ए के पुर्नपरीक्षण का काम पूरा नहीं हो जाता है उस समय तक इसके अंतर्गत कोई भी नया मामला दर्ज नहीं होगा। उच्चतम न्यायालय की ओर से इस कानून के अंतर्गत पहले से दर्ज मामलों को लेकर भी कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि इस धारा के अंतर्गत जेल में बंद आरोपी भी अब जमानत के लिए अदालत में अपनी अपील कर सकते हैं।

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