सुप्रीमकोर्ट को आई टीएन सेशन की याद- बोली नाम की नहीं काम की जरूरत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा है कि चुनाव आयोग को टीएन सेक्शन जैसे चुनाव आयुक्त की जरूरत है जो सुदृढ़ चरित्र और अपनी जिम्मेदारियों का पारदर्शिता के साथ निर्वहन कर सके।
बुधवार को चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के सामने कई बड़े सवाल उठाते हुए पूछा है कि वर्ष 2007 के बाद से सभी मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यकाल कम क्यों हो रहे हैं और उनके कार्यकाल में कटौती किन कारणों की वजह से की जा रही है?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में संसद को सुधार लाने की आवश्यकता है क्योंकि यह चुनाव आयोग के कामकाज को बुरी तरह से प्रभावित करता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भी प्रभावित होती है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त के नाजुक कंधों पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह शुद्र चरित्र वाले व्यक्ति की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ओर से पूर्व कैबिनेट सचिव रहे टीएन शेषन को वर्ष 1990 की 12 दिसंबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। अपनी कार्यप्रणाली से टी एन शेषन ने इस बात को दिखाया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पास कौन-कौन सी शक्तियां होती हैं जिनका उन्हें जिम्मेदारियों के साथ निर्वहन करना पड़ता है।